कलावा बांधने व बंधवाते समय रखें इन नियमों का ध्यान वरना दिनों में हो जाएंगे कंगाल

Friday, Aug 19, 2022 - 01:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
किसी भी प्रकार के हिंदू कार्य हो, अनुष्ठान हो, कोई यज्ञ हो या फिर घर-मंदिर में होने वाली आम पूजा हो, कलावा बांधना की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। कहते हैं प्राचीन काल से ही प्रत्येक प्रकार के शुभ कार्य के दौरान हाथ पर कलावा बांधा जाता था। धार्मिक शास्त्रों में इसे एक रक्षा सूत्र के रूप में देखा जाता है। अतः लगभग लोग पूजा आदि के दौरान हाथ में कलावा जरूरी बांधते व बंधवाते हैं। पर क्या आप जानते हैं अगर इसे धार्मिक, ज्योतिष व वास्तु शास्त्र में इससे जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं, अगर इसे बांधते व बंधवाते समय इसके नियमों का पालन न किया जाए तो कहा जाता है कि इंसान कंगाल होने की स्थिति में पहुंच जाता है। तो आइए आज आपको बताते हैं कलाबा बांधने से जु़ड़े कुछ खास नियम आदि। 

वास्तु शास्त्र की मानें तो इसे हाथ पर बांधना बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है इसे हाथ में बांधने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही साथ और धन सम्पति,  विद्या-बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है। 

लेकिन तो वहीं अगर कलावा नियम अनुसार न बांधा जाए तो इससे व्यक्ति का जीवन कंगाली की ओर चला जाता है। इसलिए इससे जुड़े नियमों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी माना जाता है। इसी के मद्देनजर हम आपको बताने जा रहे हैं कलावा बांधने को लेकर नियम बताने जा रहे हैं। इस जानकारी में आपको बतएंगे किस दिन कलावा बांधना चाहिए, किस दिन खोलना चाहिए, कितनी बार लपेटना चाहिए, किस हाथ में बांधना चाहिए आदि। तो आइए अधिक देर न करते हुए जानते हैं कलावा बांधने से जुड़ी ये खास जानकारी।  

हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के दौरान ही हाथ में कलावा बांधा जाता है और जब हाथ में कलावा बांधा जाता है। तो उस मौके को बहुत पवित्र माना जाता है। तो ऐसे में शास्त्रों के मुताबिक अगर पुरुष हाथ में कलावा बंधवा रहे हैं तो उन्हें अपने दाहिने हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए। जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए। शास्त्रों में वर्णित है कि कुंवारी कन्याओं को अपने दाहिने हाथ कलावा बंधवाना चाहिए।

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इसके साथ ही कलावा बांधते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कलावा बंधवाते समय आपका हाथ कभी भी खाली नहीं होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जिस हाथ में कलावा बांधा जाता है। उस हाथ को कभी खाली नहीं रखना चाहिए। जानकारी के लिए बता दें कि जिस हाथ में आप कलावा बंधवा रहे हैं। उस हाथ में एक सिक्का रखकर मुट्ठी बंद कर लें। और दूसरा हाथ सिर के ऊपर रखना चाहिए। कलावा बांधने के बाद हाथ में रखी दक्षिणा उस व्यक्ति को भेंट करें।

तो वही शास्त्रों की मानें तो रक्षा सूत्र या कलावे को हमेशा 3 या 5 राउंड घुमाकर ही हाथ में बांधना चाहिए। इसके साथ ही हाथ में कलावा बांधते समय  ‘येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनु बध्नामि, रक्षे माचल माचल’ मंत्र का उच्चारण करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से हाथ में बांधा गया कलावा प्रभावी हो जाता है और वह जातक को ज्यादा ऊर्जा प्रदान करने लगता है।

इसके अलावा हिंदू धर्म ग्रंथों में जिस प्रकार हाथों में कलावा बांधने को लेकर नियम बताए गए है। उसी तरह कलावा उतारने के लिए भी कुछ नियम का वर्णन किया गया है। इसके बावजूद भी लोग इसे कभी भी उतार कर यहां वहां कहीं भी फेंक देते हैं।  लेकिन ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं है। शास्त्रों के मुताबिक कलावा उतारने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना गया है. इस दिन आप इसे उतार कर नया कलावा हाथ में बांध सकते हैं. इसे आप विषम संख्या वाले दिन भी उतार सकते है। 

बस इस बात का आपको ध्यान रखना है कि इन विषम संख्या वाले दिन में मंगलवार, शनिवार ना पड़ रहा हो। शास्त्रों के मुताबिक आप  मंगलवार या शनिवार को किसी भी एक दिन पुराना कलावा उतारकर हाथ में नया कलावा धारण कर सकते हैं। आप अमावस्या वाले दिन भी कलावे को उतारकर नया बांध सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि कलावा उतारने के बाद उसका सही तरीके से विसर्जन ज़रूर करें। आप उसे जल में प्रवाहित कर सकते हैं या फिर पीपल के पेड़ के नीचे रख सकते हैं।

 

Jagdeep Singh

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