8 जून से शुरु हो रही है कैलाश मानसरोवर यात्रा, जानें समुद्र मंथन से इसका क्या है संबंध

Friday, Jun 07, 2019 - 12:38 PM (IST)

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इस महीने की 8 तारीख़ यानि 8 जून को कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरु होने जा रही है। कैलाश मानसरोवर की ये पवित्र यात्रा कल से शुरू हो कर पूरे 3 महीने तक यानि 8 सिंतबर चलेगी। बता दें कैलाश मानसरोवर भगवान शिव का निवास है। हर हिंदू का प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस स्थान पर जाने सपना होता है लेकिन यह काफी दुर्गम यात्रा है इसलिए कहा जाता है  हर किसी का यहां जा पाना मुमकिन नहीं है। हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में चीन अधिकृत तिब्बत में स्थित है कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है। चूंकि ये मानसरोवर झील से घिरा हुआ है इसलिए इसका धार्मिक महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कहा जाता है यहां न केवल हिंदू धर्म के लोग बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग भी इस स्थान पर यात्रा करने के लिए आते हैं।

कैलाश पर्वत पूरा साल बर्फ़ की चादर से ढका रहता है। पौराणिक मान्‍यता के अनुसार यह पर्वत स्‍वयंभू है यानि इसकी उत्पत्ति खुद हुई है और ये कोई आज का पर्वत नहीं बल्कि सदियों पुरानी जितनी शायद ये सृष्टि है। इस अलौकिक स्थान पर प्रकाश और ध्‍वनि तरंगों का समागम होता है जो ‘ॐ’ की प्रतिध्‍वनि करता है। पुराणों में वर्णित कल्पवृक्ष कैलाश पर्वत की तलछटी में लगा हुआ है। बता दें शास्त्रों में समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से निकली 14 वस्तुओं में कल्पवृक्ष की भी प्राप्ति हुई थी। इस पर्वत का स्‍वरूप काफ़ी अद्भुत है। यही वजह है इसके हर भाग को अलग-अलग नामों से संबोधित किया जाता है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व को क्रिस्‍टल, पश्चिम को रूबी और उत्‍तर को स्‍वर्ण के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथाओं में किए वर्णन के अनुसार यह स्‍थान कुबेर की नगरी था। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि यहीं से महाविष्‍णु के करकमलों से निकलकर मां गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है। फिर यहां से भोलेनाथ उन्‍हें अपनी जटाओं में भरकर धरती पर प्रवाहित करते हैं।

कैलाश मानसरोवर का यात्रा में मानसरोवर झील के दर्शनों की विशेष महिमा है। लोक मान्‍यता के अनुसार मानसरोवर झील की खोज महाराज मानधाता ने की थी। इसके अलावा उन्‍होंने इसी झील के किनारे कई वर्षों तक कठोर तपस्‍या की थी। तो वहीं बौद्ध धर्मावलंबियों का इस जगह के बारे में मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों से सभी तरह के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार किया जा सकता है। यह काफी लंबी यात्रा होती है। इसे पूरा करने में लगभग 24 दिन का समय लग जाता है। हर एक यात्री का लगभग यहां कुल खर्च करीब 1.8 लाख रुपए होता है।

Jyoti

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