Kailash Mandir: इस मंदिर को बनने में लगा था 150 साल का समय, जुड़ा है गजब का इतिहास

Saturday, Feb 04, 2023 - 10:45 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Kailash Mandir in Ellora: हिंदू धर्म में 33 कोटी देवी-देवताओं कि पूजा होती है, तभी तो हर जगह उनके अलग-अलग मंदिर देखने को मिलते हैं। कुछ मंदिर तो ऐसे होते हैं, जिन्हें जितना भी देखा जाए उतना ही कम है। ऐसा ही एक भगवान शिव का अनोखा मंदिर है, जो एलोरा जिला के औरंगाबाद स्थित लयण-श्रृंखला में कैलाश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जितना सुंदर ये मंदिर देखने में है, उतना ही खूबसूरत इतिहास भी इसके अंदर समाया है। तो आइए जानते हैं, इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

150 years to build the temple मंदिर को बनने में लगा था 150 साल का समय: इस अनोखे कैलाश मंदिर को तैयार होने में 10-20 साल नहीं बल्कि 150 साल लगे थे और करीब  7000 मजदूरों ने लगातार इस पर काम किया था। इसके निर्माण में करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटकर 90 फीट ऊंचा मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर में प्रवेश द्वार पर एक दो मंजिला गोपुरम स्थित है और प्रवेश द्वारों के किनारों पर शैव और वैष्णवों द्वारा पूजे जाने वाले देवताओं की मूर्तियां हैं। कैलाश मंदिर विरुपाक्ष मंदिर से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था।

Kailash Temple is located in Ellora caves एलोरा की गुफाओं में स्थित है कैलाश मंदिर: एलोरा में कैलाश मंदिर राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा भगवान शिव के मंदिर के रूप में बनाया गया था। कैलाश मंदिर एक बहुमंजिला मंदिर परिसर है जिसे भगवान शिव के घर कैलाश पर्वत की तरह बनाने की कोशिश की गई थी। मुगल शासक औरंगजेब ने कैलाश मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन उसे अपने मंसूबों में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई थी। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

This temple is dedicated to Lord Shiva शिव जी को समर्पित है यह मंदिर: इस मंदिर को कैलाश पर्वत की तरह रूप देने की पूरी कोशिश की गई थी लेकिन मान्यताओं के अनुसार आज तक इस मंदिर में कभी भी पूजा किए जाने का कोई प्रमाण नहीं मिला। इस मंदिर में आज भी कोई पुजारी नहीं है और कोई नियमित पूजा-पाठ का सिलसिला भी नहीं है।


 

Niyati Bhandari

Advertising