काशी काल भैरव: 5 दशक बाद बाबा भैरव विग्रह से छूटा कलेवर, जानें क्या देता है संकेत

Wednesday, Feb 24, 2021 - 04:52 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
*विग्रह से अलग होकर टूटा बाबा काल भैरव का कलेवर 
*किसी बड़ी क्षति से अपने भक्तों को बचाने के लिए छोड़ते हैं अपना कलेवर

जितना प्रसिद्ध यहां काशी विश्वनाथ के लिए हैं, उतना ही प्रसिद्ध है काल भैरव के लिए। यहां स्थित काल भैरव को काशी के कोतहाल कहा जाता है। इनकी पूजा से जातक बुरी नज़र से बचता है साथ ही साथ तामाम बाधाएं और तकलीफ़ों से राहत मिलती है। खबरों के मुताबिक लगभग 5 दशकों के बाद एक बार फिर कालभैरव मंदिर में दुर्लभ घटना हुई है। जी हां, बताया जा रहा है काल भैरव मंदिर में बाबा काल भैरव के विग्रह से कलेवर यानि चोला संपूर्ण रूप से टूटकर अलग हो गया। मंदिर के पुजारियों के अनुसार ये घटना यहां पहल 14 वर्षों पहले हुई थी। मान्यतानुसार, बाबा अपना कलेवर तब छोड़ते हैं जब, वह किसी बहुत बड़ी क्षति को अपने उपर ले लेते हैं। 

जिसके बाद वाराणसी के भैरव नाथ इलाके में स्थित काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के मंदिर से लेकर गंगा घाट पंचगंगा तक का इलाका घंट-घड़ियाल और डमरू की आवाज़ से गूंज उठा शोभा यात्रा की शक्ल में तमाम भक्त और मंदिर के पुजारी भारी भरकम बाबा काल भैरव के कलेवर को अपने कंधों पर उठाकर आगे बढ़े और फिर पंचगंगा घाट पहुंचकर नाव पर सवार होकर पूरे विधि-विधान के साथ कलेवर को गंगा में विसर्जित कर दिया।बता दें यह कलेवर बाबा काल भैरव का था। इस पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए काल भैरव मंदिर के व्यवस्थापक नवीन गिरी ने बताया कि 14 वर्षों पहले आंशिक रूप से तो 50 वर्षों पहले 1971 पूर्ण रूप से बाबा काल भैरव ने अपना कलेवर छोड़ा था। विसर्जन के बाद एक बार फिर बाबा को मोम और सिंदूर मिलाकर लगाया गया और पूरे पारंपरिक ढंग से की गई आरती के बाद सभी भक्तों के लिए दरबार खोला गया। 
 

Jyoti

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