Kaal Bhairav Jayanti Upay: गृहस्थ आश्रम भोग रहे व्यक्ति न करें कालभैरव की पूजा !

Saturday, Nov 27, 2021 - 08:37 AM (IST)

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Kal Bhairav Jayanti 2021: सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना जाता है। यह अवतार जो कि भगवान शिव ने ब्रह्मा से क्रोधित होने के पश्चात धारण किया था। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनायी जाती है जो कि आज 27 नवंबर 2021 के दिन शनिवार को है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रातः 05:43 से आरम्भ होगर अगले दिन प्रातः 06:00 बजे तक रहेगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार धारण किया था। सनातन धर्म में कालभैरव जयंती का विषेश महत्व है क्योंकि कालभैरव भगवान शिव का रौद्र रूप हैं और इनके इस रूप का अनुसरण करने से डर अथवा अनावश्यक भय का नाश होता है। कॉन्फिडेंस व साहस की प्राप्ति व बढ़ोतरी होती है। कुछ पाप ग्रहों के क्रोध या बुरे प्रभाव से भी मानव जाती की रक्षा होती है और ग्रह बाधाओं से भी निजात मिलती है।

Which day is special for Kala Bhairava: भारतीय हिन्दु पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल अष्टमी को कालाष्टमी व्रत का पालन किया जाता है व मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। कालभैरव का अनुसरण कर ग्रह बाधाओ, शत्रुओं की शत्रुता से मुक्ति, राहु व केतु के भय से मुक्ति तथा सभी प्रकार के विरोधियों के विरोध से बचाव की प्रार्थना करें। कालभैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये व्रत, पूजा और दान इत्यादि किया जाता है ताकि इच्छानुसार आशीर्वाद की प्राप्ति होकर उपरोक्त सभी प्रार्थनाएं सफल व स्वीकार होकर निरोग, भयमुक्त व सफल जीवन यापन हो सके।

How is Kalabhairav Jayanti celebrated: पूरे वर्ष में एक यही ही ऐसा अवसर होता है जिस दिन कालभैरव को किंचित मात्र उपाय, पूजा इत्यादि करने से यह देवआत्मा कम प्रयास में ही प्रसन्न हो जाती हैं तथा अपने भक्तों को इच्छित आशीर्वाद देने के लिय बंधनयुक्त हो जाती है। कालभैरव को तंत्र, मंत्र और साधना का विभाग दिया गया है। जिसके प्रभाव से वह अपने साधकों एवं भक्तों को मनचाहा वर देकर भक्ति प्रदान करते रहते हैं। उनके जीवन में आने वाले विध्न-बाधाओं को दूर करते रहते हैं।

What is the importance of Kalashtami: कालभैरव की जयंती पर तिलों का तेल, सरसों या उड़द के तेल का दीपक इनके निमित्त होकर अर्पित करेें। पांच या सात पीले नींबूओं की माला कालभैरव जी की प्रतिमा को चढ़ायें तथा कोई भी खुशबूदार अगरबत्ती व इत्र भी अवश्य अर्पण करें।

बेल पत्रों पर लाल या सफेद चंदन से ओम नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पण करें तथा अर्पण या दीपक जलाते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ ही रखें।

कालभैरव के वाहन कुत्ते को मीठी रोटी, दूध इत्यादि का सेवन किसी भी रूप में जरूर करवाना चाहिए।

नकारात्मकता से छुटकारा पाने के लिये ओउम श्री कालभैरवाय नमः मंत्र का भी जाप करना लाभदायक होता है।

इसी दिन जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति भोजन, मौसमानुसार वस्त्र इत्यादि का भी दान किया जा सकता है।

आज के दिन किसी भी जीव-जन्तु विषेशकर कुत्तों के साथ में हिंसक व्यवहार न करें।

गृहस्थ आश्रम भोग रहे व्यक्तियों को भगवान कालभैरव के तामसिक रूप की पूजा करने की बजाय बटुक भैरव रूप की ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि यह इनका सौम्य स्वरूप है। कभी भी किसी भी रूप में किसी का अहित करने के उद्देश्य से कालभैरव की पूजा कदापि नहीं करनी चाहिए क्योंकि आज आप किसी का बुरा होने की कामना करते हैं तो भविष्य में आपका भी अहित होने से कोई नहीं रोक सकता ।

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

 

 

Niyati Bhandari

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