शादियों के इस सीज़न में अगर आप हैं अभी तक कुंवारें तो अपनाएं ये टिप्स

Thursday, Dec 10, 2020 - 04:57 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अधिक मास खत्म होने के साथ ही शादियों का सीजन शुरू हो जाता है। हर अविवाहित शादी के बंधन में बंधता नज़र आता है। मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनकी शादी की उम्र होने के बाद भी उनकी शादी नहीं हो पाती। ऐसे में सबसे पहले जातक को अपनी कुंडली को किसी ज्योतिष को दिखानी चाहिए। ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं कुंडली में किसी प्रकार का कोई दोष न हो। मगर यदि कुंडली का विवेचन करवाने के बाद पता चले कि कोई बड़ा दोष नहीं है तो ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में बताए गए आगे के कुछ उपाय अपना लेने चाहिए। जी हां, बताया गया है कि इन उपायों को करने से शादी के योग बनने लगते हैं। तो आइए जानें क्या हैं वो खास उपाय-

केले के पेड़ की पूजा-
ज्योतिष शास्त्री बताते हैं जिन जातकों के विवाह होने में रूकावट आ रही हो, उसे गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। साथ ही साथ केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है देवगुरु बृहस्पति को विवाह का कारक माना जाता है। इसलिए जो जातक इन्हें प्रसन्न कर लेता है उसकी शादी होने में कोई परेशानी नहीं आती।

दान करें ये चीज़ें-
जिन युवा-युवती की शादी न हो रही,या बार बार बात बनकर बिगड़ रही हो, उन्हें गुरुवार के दिन व्रत के साथ-साथ गरीबों में चने की दाल का दान करना चाहिए। संभव हो तो इसके साथ गुड़ भी बांट सकते हैं। इसके अलावा इस दिन पीले वस्त्र धारण करने के साथ साथ गरीबों में बांटने से जल्द शादी होने के योग बनते हैं।

इस दिन करें ये खास उपाय-
खासतौ पर गुरुवार के दिन पीले कपड़े में केले की जड़ और हल्दी लपेटकर दाएं बाजू में बांध लें।  कहा जाता है ये उपाय बेहद कारागर माना जाता है। मगर ध्यान रहे ये उपाय केवल गुरुवार के दिन ही करना चाहिए।

धारण करें ये रत्न
ओपल रत्न को शुक्र ग्रह की कृपा दृष्टि पाने के लिए धारण किया जाता है। माना जाता है जो व्यक्ति ये रत्न धारण कर लेता है, उसकी शादी में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। तो वहीं जिनकी शादी नहीं हो रही होती या जो लव मैरिज करना चाहते हैं उनके रास्ते आसान हो जाते हैं। मगर ध्यान रहे इसे धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी की सलाह ज़रूर लें।

इन उपायों के अलावा निम्न मंत्रों का जाप कर भगवान शिव और पार्वती माता से कृपा की प्रार्थना करनी चाहिए।

कन्या के लिए:

 "ओम गौरी! 'शंकराधीशे! यथा त्वं शंकर प्रियां!
तथा मां कुरु कल्याणि कांता सदुर्लभाम्"

वर के लिएः

"पत्नी मनोरामां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।

 

Jyoti

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