रिश्तों में गुम होता प्यार, तकनीकी होते एहसास

Wednesday, Nov 20, 2019 - 07:34 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

दुखी परिवार नरक है और सुखी परिवार स्वर्ग। यह जरूरी नहीं है कि निर्धन परिवार ही अपनी समस्याओं से दुखी हों, अमीर परिवारों में भी मानसिक तनाव, धन के लिए झगड़े तथा आपसी रंजिश पाई जाती है, अपने-अपने स्वाभिमान को लेकर एक-दूसरे के प्रति क्रोध, आक्रोश, घृणा, वैमनस्य और प्रतिशोध के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं।

गुम होता प्यार, तकनीकी होते एहसास
संयुक्त परिवार में आपस में प्रेम और सहानुभूति के अतिरिक्त कर्तव्य परायणता और अनुशासन का बसेरा था। दादा जी के घर आने पर सारा परिवार सावधान हो जाता था। बच्चे चाचू-चाचू करते चाचा से लिपट जाया करते थे। मर्यादा, विवेक, सत्य और रुझान परिवार के गहने थे, इसलिए घर स्वर्ग था। आधुनिक संदर्भ में आलीशान कोठियों में एकल परिवारों को वह सुख नहीं जो संयुक्त परिवारों में कच्चे मकानों में था। आज हम विचलित और दुखी हैं। बच्चे अपने स्वार्थ के लिए संयुक्त परिवारों को त्याग कर शहर में जा बसे हैं। अपनी चादर से बाहर पांव पसार कर घर को स्वर्ग बनाने की बजाय नरक बना रहे हैं। शर्म, हया और मर्यादा का जनाजा निकल गया है। महिलाएं छोटे बच्चे को अपनी छाती का दूध नहीं पिलातीं, उनकी सुंदरता पर असर पड़ता है। सब एक-दूसरे पर संदेह करते हैं, इस तरह स्वर्ग जैसे घर को भी नरक बना लेते हैं।

घर स्वर्ग कैसे बने? 
पत्नी गृह लक्ष्मी होती है। बुजुर्ग भगवान के तुल्य होते हैं उनका सम्मान करना चाहिए। अपनी इच्छाओं पर अंकुश लगाना चाहिए। आमदनी से ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए। छोटों से प्रेम और बड़ों का आदर करना चाहिए। थोड़ी-थोड़ी बचत करके धन जमा करना चाहिए जो आवश्यकता के समय काम आ सके। बच्चों को अच्छे संस्कार दें। स्वर्ग का द्वार विद्या से खुलता है इसलिए शिक्षा को परिवार में सबसे अधिक महत्व देना चाहिए। 

Niyati Bhandari

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