Jitiya Vrat 2025: इन मंत्रों का जाप कर जीवित्पुत्रिका व्रत करें सफल, मिलेगी अपार सफलता
punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 03:00 AM (IST)

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Jitiya Vrat 2025: भारतीय संस्कृति में व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन व्रतों में नारी शक्ति की श्रद्धा, आस्था और मातृत्व की भावना समाहित होती है। इन्हीं में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने पुत्रों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत करती हैं, यानी दिनभर बिना जल और अन्न ग्रहण किए उपवास रखती हैं और संतान की मंगलकामना के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
Chant these mantras करें इन मंत्रों का जप
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि
ॐ श्रीं हीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते, देहि में तनयं कृष्ण त्वमहं शरणं गतः।
जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत की आरती
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप….
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप…
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप…
Method of fasting व्रत की विधि
व्रत के दिन, सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन निर्जला व्रत रखें, जल भी न ग्रहण करें।
पूजन में जीमूतवाहन की कथा सुनें या सुनाएं और फल-फूल, अक्षत, रोली, धूप-दीप आदि से पूजन करें।
व्रत के दौरान ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करें। आप चाहें तो माला के साथ 108 बार जाप कर सकते हैं।
अगले दिन पारण कर व्रत का समापन करें।
Benefits of chanting mantras मंत्र जाप के लाभ
मंत्रों के उच्चारण से मानसिक शांति मिलती है और मन एकाग्र होता है।
संतान के प्रति मा के भाव और संकल्प की शक्ति बढ़ती है। ईश्वर के प्रति श्रद्धा और आत्मबल बढ़ता है।
जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा कवच तैयार होता है।