Jitiya Vrat 2025: कब है संतान की लंबी उम्र का यह पावन व्रत, जानें नहाय-खाय और पारण का समय

punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 07:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व है। हर व्रत और पर्व किसी न किसी धार्मिक भावना से जुड़ा होता है। इन्हीं व्रतों में से एक है जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सफलता के लिए करती हैं। यह व्रत खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है।

जितिया व्रत  की तिथियां
पंचांग के अनुसार आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर जितिया का नहाय खाय का व्रत किया जाता है और यह 13 सितंबर को पड़ रहा है।  14 सितंबर को सुबह अष्टमी सुबह 8 बजकर 50 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 15 को इसका समापन हो जाएगा। बाकि व्रतों के मुकाबले ये व्रत बेहद ही मुश्किल माना जाता है। 

जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह तीन दिनों तक चलने वाला व्रत है, जिसमें पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन निर्जला उपवास और तीसरे दिन पारण होता है।

PunjabKesari Jitiya Vrat 2025

नहाय-खाय: 13 सितंबर 2025 (शनिवार)
इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर पवित्रता से सात्विक भोजन करती हैं, जिससे अगले दिन उपवास रखने की शक्ति बनी रहे।

व्रत का मुख्य दिन (अष्टमी): 14 सितंबर 2025 (रविवार)
इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। बिना अन्न और जल के पूरा दिन और रात उपवास रखा जाता है।

पारण (व्रत खोलना): 15 सितंबर 2025 (सोमवार)
नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन महिलाएं परंपरागत भोजन कर उपवास का समापन करती हैं।

व्रत का महत्व
जितिया व्रत को जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। जीमूतवाहन एक पौराणिक राजा थे जिन्होंने एक नागवंशी को गरुड़ से बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। यह व्रत त्याग, बलिदान और मातृत्व की भावना से जुड़ा हुआ है। माताएं इस व्रत को संतान की रक्षा, उनके दीर्घायु जीवन और सफलता की कामना से करती हैं। यह व्रत केवल पुत्रों के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण संतान के कल्याण हेतु किया जाता है।

PunjabKesari Jitiya Vrat 2025

पूजा विधि
नहाय-खाय के दिन:

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

सात्विक भोजन करें जिसमें लहसुन, प्याज, मिर्च, मांस, शराब आदि का त्याग अनिवार्य है।

व्रत के दिन:

सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।

इस दिन न अन्न का सेवन किया जाता है न जल ग्रहण किया जाता है इसे निर्जला व्रत कहा जाता है।

जीमूतवाहन की प्रतिमा या चित्र की स्थापना कर पूजा करें।

पूजा में कच्चा सूत, दीप, रोली, अक्षत, फल, फूल आदि का प्रयोग करें।

जीमूतवाहन व्रत कथा का पाठ करें अथवा सुनें।

रातभर व्रत किया जाता है, बिना सोए।

PunjabKesari Jitiya Vrat 2025


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News