14 जुलाई शुरु हो रहा है जया-पार्वती व्रत, सौभाग्य को बरकरार रखने के लिए करें ये काम

Saturday, Jul 13, 2019 - 07:02 PM (IST)

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हमारे धर्म में बहुत से ऐसे व्रत हैं, जिसमें पति की लंबी उमर के लिए व्रत रखा जाता है। ऐसा ही एक व्रत है जया-पार्वती व्रत। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाहित महिलाएं करवा चौथ आदि जैसे व्रत की ही तरह ये व्रत भी अपने सौभाग्य को बरकरार रखने के लिए करती हैं। इस बार ये व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि 14 जुलाई को आरंभ हो रहा है जिसका समापन 20 जुलाई 2019 को होगा।

ज्योतिष के मुताबिक इस पर्व में विवाहित स्त्रियां भगवान शिव की अर्धांगिनी मां पार्वती की विशेष पूजा अर्चना करती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी समय में देवी पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए और उनकी सलामती के लिए ऐसे कई व्रत किए थे, जिसके बाद से ऐसे कईं व्रत आदि को करने का प्रचलन शुरू हुआ था। मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं की अनेक तरह की कामनाएं पूरी होती हैं।

कहा जाता है ये व्रत भी हिंदू धर्म के अनेक प्रमुख व्रत जैसे गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी आदि की ही तरह हैं। मान्यता है कि यह व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है।

मां पार्वती की पूजन विधि-
सबसे पहले व्रती महिलाएं प्रातः स्नान के बाद धुले हुए वस्त्र पहनकर घर के पूजा स्थल या मां पार्वती के मंदिर में कुशा के आसन पर बैठकर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।

अब भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं एवं मां पार्वती को हल्दी कुमकुम के साथ दोनों का शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध, ऋतुफल, श्रीफल और फूल चढ़ाकर पूजा करें।

फिर माता पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें, बता दें षोडशोपचार पूजन में कुल 16 सामाग्री होती हैं।

पूजन के बाद माता का स्मरण करते हुए उनकी आरती, स्तुति एवं कथा का पाठ करें और हाथ जोड़कर सुख-सौभाग्य और गृहशांति की प्रार्थना करें।

जो महिलाओं ने बालू (रेत) का हाथी बनाया हो वें रात्रि में जागरण के बाद उसे किसी नदी या जलाशय में विसर्जित करें।

Jyoti

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