Jaya Parvati Vrat: वर प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत है वरदान, जानिए इस पवित्र व्रत की अनोखी कथा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 01:02 AM (IST)

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Jaya Parvati Vrat: एक बार की बात है, एक कौडिन्य नगर में ब्राह्मण दंपत्ति रहती थी। ब्राह्मण का नाम वामन और उसकी पत्नी का नाम सत्या था। उनके घर में  किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी परंतु वे संतान के सुख से वंचित थे। इस बात से दोनों हर समय दुखी रहते थें।एक दिन भ्रमण करते हुए नारद मुनि  उनके घर आए। दोनों ने मिलकर नारद मुनि का बहुत अच्छे से सेवा और सत्कार किया। जिसके बाद उन्होंने अपनी समस्या नारद मुनि से कही। समस्या को सुनकर नारद जी ने उन्हें बताया कि तुम्हारे नगर के बाहर जो वन है उसके दक्षिणी भाग में बिल्व वृक्ष के नीचे भगवान शिव माता पार्वती के संग लिंग रूप में विराजित हैं। तुम  दोनों जाओ और उनकी श्रद्धा पूर्वक पूजा करों। उनकी सेवा करने से तुम्हारी हर मनोकामना अवश्य पूरी होगी। ब्राह्मण दंपत्ति ने नगर के बाहर उस बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग को ढूंढ लिया और दोनों ने पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी। इस प्रकार पूरे 5 वर्षों तक दोनों पूरे सच्चे मन और नियमित रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते रहें। एक दिन जब ब्राह्मण पूजा के लिए फूल तोड़ रहा था तब उसे एक सांप ने काट लिया और उसकी मृत्यु हो गई। ब्राह्मण जब काफी समय तक वापस घर न आया तो सत्या जो की ब्राह्मण की पत्नी की थी चिंतित हो गई और उसे ढूंढने के लिए वन में जा पहुंची। अपने पति को ऐसी अवस्था में देखकर ब्राह्मण की पत्नी सत्या विलाप करने लगी और माता पार्वती का स्मरण करने लगी।

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ब्राह्मणी की पुकार सुनकर, माता पार्वती प्रकट हुई और ब्राह्मणी का कष्ट देखकर देवी पार्वती ने ब्राह्मण के मुख में अमृत डाल दिया, जिससे ब्राह्मण पुनः जीवित हो गया। ये देखकर सत्या बेहद प्रसन्न हो उठी और ब्राह्मण दंपत्ति ने माता पार्वती का पूजन किया। माता पार्वती उनकी पूजा से प्रसन्न हुई और उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तब दोनों ने माता पार्वती से संतान प्राप्ति का वरदान मांगा। माता पार्वती ने दंपत्ति से कहा कि, तुम दोनों जया पार्वती का व्रत श्रद्धापूर्वक करो, इससे तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। जिसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति ने मां पार्वती के अनुसार व्रत का पालन किया जिसके फलस्वरूप उन्हें संतान की प्राप्ति हुई और वे सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगें।

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एक और अन्य कथा
प्राचीन काल में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। दोनों बहुत ही दयालु और संवेदनशील थे। उन दोनों के जीवन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी। दोनों पति पत्नी संतान प्राप्ति की कामना लेकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने लगे और भक्ति में लीन हो गए। एक दिन भगवान शिव ब्राह्मण दंपती की पूजा से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और कहा कि पास के जंगल में मेरा शिवलिंग स्थित है जिसकी कभी भी कोई पूजा नहीं करता है, तुम दोनों वहां जाकर  उसकी पूजा-अर्चना करो। भगवान शिव की बात सुनकर दोनों ने वैसा ही किया और जंगल में जाकर पूजा अर्चना करने लगें। पूजा के लिए ब्राह्मण पानी खोजने गया तब उसे एक सांप ने काट लिया जिसकी वजह से वह बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। काफी समय तक वापिस न आने पर पत्नी को चिंता हुई और वह पति को तलाशने निकली। लेकिन थक हारकर वे शिवलिंग के पास बैठ गई और भगवान शिव की तपस्या करने लगी। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ब्राह्मण को जीवनदान दे दिया और उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण पति-पत्नी संतान की प्राप्ति होने के बाद सुख-शांति से अपना जीवन व्यतीत करने लगे। कहा जाता है कि जो भी स्त्री ये व्रत रखती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही कुवांरी कन्याएं ये व्रत सुयोग्य वर पाने के लिए रखती हैं।

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Content Editor

Sarita Thapa

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