इस जन्माष्टमी रखें इन बातों का ख्याल वरना...

Saturday, Aug 08, 2020 - 05:21 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वैसे तो सनातन धर्म में हर मास को खास माना जाता है, मगर भाद्रपद मास की बात कुछ अलग ही है। शास्त्रों के अनुसार इसी मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे। जिसे वर्तमान समय में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप या श्री कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में देश के साथ अन्य देशों में भी बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। बता दें इस बार जन्माष्टमी 11 व 12 को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। इसी के चलते लोग इस दिन कान्हा की बाल स्वरूप की पजा करते हैं। तो वहीं कुछ लोग अपने घरों नए पालन लाते हैं कान्हा के बाल स्वरूप के जन्मोत्सव को धूम धाम से मनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन जो दंपत्ति श्री कान्हा की विधि वत पूजा करती है, उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मगर ऐसे में पूजा के दौरान किस सामग्री से इनकी आराधना करनी चाहिए तथा कौन सी सावधानियां बरतना चाहिए, इस बात का खासा ध्यान रखना चाहिए। तो आइए आपको बताते हैं इनसे जुड़ी पूजन विधि आदि के बारे में- 

प्रातः उठकर घर पर रखे बाल गोपाल को स्नान, दिन के हिसाब से कपड़े का पहनाएं, फिर उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाकर कान्हा की आरती उतारें। 

इस बात का ध्यान रखें कि बाल गोपाल की पूजा में प्रयोग की जाने वाली सारा सामग्री शुद्ध हो, इसलिए ख्याल रहे पूजा के बर्तन साफ-सुथरे हों।

बाल गोपाल को साफ जल और गंगाजल से प्रतिदिन स्नान जरूर करवाना चाहिए। स्नान करवाने के बाद चंदन का टीका लगाएं। बाल गोपाल के कपड़ों को रोजाना बदलें। इसके अलावा दिन के अनुसार अलग-अलग रंग वाले कपड़े ही पहनाएं जैसे सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को नीला और रविवार को लाल कपड़ा।

धार्मिक ग्रंथों में लड्डू गोपाल को भोग में मक्खन, मिश्री तथा तुलसी के पत्ते प्रिय बताए गए हैं। इसलिए कहा जाता है अगर आप रोज श्री कृष्ण की पूजा करते हैं तो इन चीज़ों को भोग में ज़रूर शामिल करें। 

इसके अलावा लड्डू गोपाल के श्रृंगार में कान की बाली, कलाई में कड़ा, हाथों में बांसुरी और मोरपंख ज़रूर शामिल करें।
 
श्री कृष्ण का श्रृंगार करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश जी आरती करें, उसके बाद लड्डू गोपाल की।

श्रृंगार के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की आरती उतारें फिर लड्डू गोपाल की। सुबह और शाम के दोनों वक्त लड्डू गोपाल की आरती करें और उन्हें तरह तरह के भोग लगाएं। याद रहे बाल गोपाल की पूजा और भोग लगाएं बिना स्वयं खाना न खाएं।

आरती के बाद अपने हाथों से उन्हें भोग लगाएं, झूला झूलाएं। ध्यान रहे आखिर में झूले में लगे परदे को बंद ज़रूर करें। 

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है जिन घरों में बाल गोपाल निवास करता है यानि लोग घरों मे बाल-गोपाल को विराजमान किए होते हैं उन्हें मांस-मदिरा का सेवन, गलत व्यवहार और अधार्मिक कार्यों से बचना चाहिए।

Jyoti

Advertising