4 अप्रैल से उत्तर भारत में श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा जन्म शताब्दी वर्ष

Monday, Apr 04, 2022 - 02:59 PM (IST)

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विचार, आचार व प्रचार की त्रिवेणी थे गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल जी

संघ शास्ता गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल जी महाराज का जन्म 4 अप्रैल, 1923 को रोहतक के मदीना खानदान में वकील चंदगी राम व माता सुंदरी देवी के घर एकअति विलक्षण बालक के रूप में हुआ। माता-पिता ने यह सोच कर कि  घर पर ईश्वर की कृपा बरसी है, उनका नाम ईश्वर रख दिया। बाबा जग्गू मल्ल जी को पोते को देख अत्यंत सुख मिला, तो उनके मुंह से निकला, सुखदर्शन। 

जैन संतों ने इस नाम को संस्कृत करते हुए सुदर्शन कहना प्रारंभ कर दिया। 18 जनवरी, 1942 को गुरुदेव श्री मदन लाल जी महाराज के पावन सान्निध्य में उनकी दीक्षा हुई। इनकी अभिव्यक्ति कला को देखकर गुरुदेवों ने इन्हें शीघ्र ही प्रवचन की कमान थमा दी।
 
अपनी प्रतिभा के बल पर वह प्रवचन कला को बुलंदियों तक ले गए। पूज्य गुरुदेव ने उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू व यू.पी. में जैन युवकों को व्यसनों से मुक्त रखा। 25 अप्रैल, 1999 के दिन जब गुरुदेव अचानक दिवंगत हो गए, तब सारा उत्तर भारत अनाथ होकर बिलख उठा था। शालीमार बाग (दिल्ली) से चली अंतिम यात्रा में 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। उनके पश्चात उनके संघ का दायित्व शास्त्री श्री पद्म चंद जी ने 16 वर्ष तक संभाला। श्री शास्त्री जी पूज्य गुरुदेव के चचेरे भ्राता थे। वह भी 29 अप्रैल, 2016 को दिवंगत हो गए। वर्तमान में उस दायित्व का निर्वाह संघ संचालकश्री नरेश मुनि जी कर रहे हैं। 

Jyoti

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