बुलंद हैं JANHVI KAPOOR के सितारे, भविष्य में कर दिखाएंगी ये कमाल

Sunday, Jul 14, 2019 - 06:02 PM (IST)

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फिल्म ‘धड़क’ से अपने अभिनय करियर की शुरूआत करने वाली जाह्नवी कपूर का जन्म वृश्चिक लग्न और मकर राशि में हुआ है। दिवंगत प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीदेवी की प्रथम संतान जाह्नïवी कपूर के सितारे बुलंद  हैं।

जाह्नवी कपूर की जन्म कुंडली में मंगल लग्न और षष्ठï भाव का स्वामी है हालांकि मंगल लग्नेश होते हुए भी जाह्नïवी कपूर के लिए पापी ग्रह है फिर भी लग्नेश मंगल का षष्ठï भाव का दोष नहीं लग रहा है। मंगल एकादश भाव में स्थित होकर जाह्नïवी कपूर को शरीर में स्फूर्ति और ताजगी देगा जिसके कारण वह अपनी फिटनैस को लेकर सतर्क रहेगी और अपने व्यायाम आदि में पूर्णत: लगी रहेगी।

मंगल एकादश भाव में शत्रु राशि में स्थित है और शनि के साथ है फिर भी मंगल जमीन जायदाद का सुख देगा और कोई टैक्रीकल विधा भी प्राप्त करवाएगा जो आगे जाकर उसका व्यवसाय बनेगी और आमदनी के अनेकों स्रोत खड़े कर देगी। मंगल और शनि की युति मित्रों और रिश्तेदारों से मदद भी दिलाएगी।

दशम भाव के स्वामी सूर्य का चतुर्थ भाव में होना राजयोग बना रहा है। यहां सूर्य लग्नेश मंगल का मित्र भी है इसलिए शुभ फल देगा। सूर्य और बुध की युति चतुर्थ भाव में ‘बुधादित्य योग’ का निर्माण कर रही है जिसके कारण जनसमुदाय से प्रेम मिलेगा।

हालांकि सूर्य केंद्रगत होकर कुंभ राशि में स्थित है जो धन-दौलत, मकान, कार आदि भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति कराएगा परंतु सूर्य पितृकारक भाव से अष्टम भाव में स्थित होने के कारण आगे चल कर पिता की सम्पत्ति को लेकर विवाद होगा।

फिल्मों में पिता बोनी कपूर का साथ जाह्नïवी को ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा क्योंकि इनकी जन्म कुंडली में ‘पद्म सिंहासन योग’ बन रहा है।

सूर्य, बुध और शुक्र के एक साथ चतुर्थ भाव में होने से इन्हें भारत सरकार से राजकीय सम्मान प्राप्त होगा। बुध-शुक्र का मिलन ही सुंदर जीवन साथी प्राप्त करवाएगा। विवाह के बाद उन्नति अधिक होगी और शल्य चिकित्सा से संतान का जन्म होगा। शुक्र जाह्नïवी को दांतों के रोग देगा।

बुध अष्टमेश और लाभेश होने से पापी ग्रह बन गया है और मंगल से इसका शत्रु संबंध भी है फिर भी मित्र राशि में स्थित व सूर्य के साथ होने से ‘कुलदीपक योग’ का निर्माण मस्तिष्क को उत्तम बना रहा है जो भविष्य में जाह्नवी कपूर को अभिनय के साथ-साथ निर्देशक और फिल्म निर्माता भी बनाएगा। राहू और मंगल की एकादश भाव से युति ‘अंगारक योग’ का निर्माण कर रही है जो जाह्नïवी को व्यवसाय में विशेष सफलता दिलाएगा।

धनेश और पंचमेश गुरु का तृतीय भाव में होना गुरु को नीच बना रहा है। गुरु पंचमेश होने से राजयोग कारक है और द्वितीय भाव का स्वामी होने से मारकेश भी परंतु गुरु का मारकेश का दोष नहीं लग रहा है यहां गुरु शुभ फल ही देगा जिसके कारण इनका अभिनय सराहा जाएगा।

यह जाह्नवी को सफल अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी दिलाएगा। इनकी सफल व्यक्तियों में गिनती भी होगी और भविष्य में मुकद्दमों में विजय भी दिलाएगा।

शनि और केतु का पंचम भाव में होना जाह्नवी को विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी प्राप्त करवाएगा एवं सफलता की चरमसीमा पर पहुंचकर ये विदेश में अपना घर बना कर रहेंगी।
—ज्योतिर्विद बॉक्सर देव गोस्वामी

Jyoti

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