Jallianwala Bagh: आज भी हरा है नरसंहार का घाव

Saturday, Apr 13, 2024 - 07:33 AM (IST)

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Jallianwala Bagh Massacre: भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद करवाने के लिए जब देश के कोने-कोने में ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे गूंजने लगे तो अंग्रेज घबरा गए और इस बुलंद आवाज को रोकने के लिए जघन्य नरसंहार कर एक ऐसा घाव दिया, जो 105 साल बाद भी हरा है। 13 अप्रैल, 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत की फौज ने गोलियां चलाकर निहत्थे, शांत बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों नागरिकों को मार डाला था और हजारों लोगों को घायल कर दिया था। इसी जलियांवाला बाग परिसर में शहीदों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया है, जहां रोज हजारों लोग उनको श्रद्धांजलि देते हैं।


अंग्रेजों ने 18 मार्च, 1919 को रोलेट एक्ट रूपी एक काला कानून पास किया था जिसके खिलाफ पूरा भारत उठ खड़ा हुआ।

 

आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेजों ने पंजाब के अधिकांश हिस्सों में मार्शल लॉ लगा दिया। दमनकारी नीति के विरोध में बैसाखी वाले दिन 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग परिसर में की जा रही विरोध सभा में जब नेता भाषण दे रहे थे तो जनरल डायर ने सैनिकों के साथ वहां लोगों को घेर कर बिना चेतावनी गोलियां चलाने का आदेश दिया। लगभग 1650 गोलियां चलीं और हजारों लोग मारे गए थे, लेकिन दस्तावेजों में 379 लोगों की मृत्यु ही दर्शाई गई।

इसके बाद हजारों भारतीयों ने जलियांवाला बाग की मिट्टी अपने माथे पर लगाकर देश को आजाद करवाने का संकल्प लिया। महान शहीद उधम सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार के समय पंजाब के गवर्नर जनरल रहे माइकल ओ ड्वायर को लंदन जाकर गोली मार कर बदला लिया था।

Niyati Bhandari

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