जेब से नोट गायब किए बिना पाएं स्वस्थ दीर्घ जीवन

Friday, Dec 02, 2016 - 08:59 AM (IST)

पूर्वकालीन भारत में यशस्वी, तेजस्वी और प्रतापी ऋषि हुए हैं जिनका नाम था जैमिनि। उन्हें पूर्व मीमांसा के प्रवर्तक और ऋषी वेदव्यास के शिष्य रूप में जाना जाता है। निरोग रहकर दीर्घ जीवन जीने की चाह है तो पढ़ें ये कथा...


बात पुरानी है। एक दिन जैमिनि मुनि अपने आश्रम के एक वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे। उसी वृक्ष की शाखा पर बैठा एक पक्षी अचानक बोल उठा कि, ‘‘कोऽरुक अर्थात निरोग कौन है?’’


जैमिनि मुनि पक्षी की वाणी समझते थे इसलिए उन्होंने उत्तर में कहा,‘‘हितभुक। जो हितकर, पुष्टिकर तथा अनुकूल आहार ग्रहण करता है। 


पक्षी पुन: बोल पड़ा कि ‘कोऽरुक्?’ 


मुनि ने पुन: उत्तर में कहा, ‘मितभुक’ जो परिमित आहार ग्रहण करने वाला है।’


पक्षी पुन: बोल उठा कि ‘‘कोऽरुकं?’’


जैमिनि मुनि ने पुन: उसके उत्तर में कहा, ‘‘जो हितभुक और मितभुक है वही स्वस्थ शरीर का आनंद प्राप्त करता है अर्थात जो व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुकूल भोजन ग्रहण करता है और यथासमय परिमित भोजन करता है, वही स्वस्थ रह कर आनंदमय दीर्घ जीवन व्यतीत कर सकता है। शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष-इस पुरुषार्थचतुष्टय की सिद्धि के लिए सर्वतोभावेन शरीर का स्वस्थ तथा नीरोग होना नितांत आवश्यक है।’’
 

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