जगद्धात्री पर्व कल: कष्ट रहित जीवन के लिए करें ये उपाय

Sunday, Oct 29, 2017 - 10:40 AM (IST)

सोमवार दि॰ 30.10.17 कार्तिक शुक्ल दशमी के उपलक्ष्य में देवी जगद्धात्री का पूजन किया जाएगा। जगद्धात्री का अर्थ है जगत की रक्षिका अर्थात जगदंबा। यही महादुर्गा हैं। सिंहवाहिनी चतुर्भुजा, त्रिनेत्रा व रक्तांबरा जगद्धात्री ही तंत्र विद्या की देवी हैं। शास्त्र शक्ति-संगम-तंत्र, उत्तर-कामाख्या-तंत्र, भविष्य पुराण व दुर्गाकल्प में जगद्धात्री पूजा का उल्लेख है। शास्त्र केनोप-निषद में हेमवती का वर्णन जगद्धात्री का ही रूप है। शास्त्रनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से दशमी तक जगद्धात्री पर्व मनाया जाता है। देवी जगद्धात्री राजस व तामस का प्रतीक मानी जाती हैं।


मान्यतानुसार जगद्धात्री मूल जगदंबा हैं जो काली व दुर्गा के युग्मन का स्वरूप हैं। इनकी कृपा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यतानुसार देवी दुर्गा संसार को महिषासुर के आतंक से मुक्त करने हेतु उसका वध करती हैं। जिससे देवताओं को स्वर्ग का अधिपत्य मिल जाता है और देवताओं में घमंड आ जाता है। जिसे देवी जगद्धात्री के यक्ष देवताओं के घमंड का नाश कर देते हैं। इनके पूजन से जीवन का कल्याण होता है, शत्रु नतमस्तक होते हैं तथा जीवन कष्ट रहित हो जाता है। 


विशेष पूजन विधि: देवी जगदंबा का दशोंपचार पूजन करें। गौघृत में हल्दी मिलाकर दीपक करें, कर्पूर जलाकर धूप करें, पीले फूल चढ़ाएं, हल्दी से तिलक करें, दूध व शहद चढ़ाएं, केले का भोग लगाएं, तथा 1 माला इस विशिष्ट मंत्र का जाप करें। पूजन के बाद भोग को पीपल के नीचे रख दें। 


पूजन मंत्र: ह्रीं दुं दुर्गाय नमः॥


कष्टों से मुक्ति हेतु दूध में अपनी छाया देखकर देवी पर चढ़ाएं।


पारिवारिक कल्याण हेतु देवी पर चढ़े पीले चावल पीपल के नीचे रखें।


मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु देवी पर चढ़ा मेलफल पीले कपड़े में बांधकर पूजा घर में रखें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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