इस मंदिर में श्री राधा जी के साथ नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की मीराबाई के साथ होती है पूजा

Wednesday, Jan 08, 2020 - 01:35 PM (IST)

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भगवान कृष्ण एक ऐसे देव हैं, जिनको देखने मात्र से ही हर किसी का मन उनपर मोहित हो जाता है। उनका रूप इतना मनमोहक है कि हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेता है। अक्सर ऐसा सबने देखा होगा कि उनके साथ हमेशा राधा रानी की पूजा ही होती है। हमारे देश में ऐसे जितने भी मंदिर हैं उनमें कृष्ण के साथ राधा जी को ही पाया जाता है आर जब भी नाम भी लिया जाए तो राधा व कृष्ण का नाम ही हर किसी की जुबान पर आता है। किंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कृष्ण के सात राधा की नहीं बल्कि मीरा की पूजा की जाती है। जी हां, पढ़ने सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये बात सच है। चलिए जानते हैं उस स्थान के बारे में।

राजस्थान के एक मंदिर में देवी राधा नहीं बल्कि कान्हा के साथ उनकी भक्ति मीराबाई हैं और मंदिर में कान्हा के साथ ही मीराबाई की भी पूजा होती है। ये स्थान राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। ये मंदिर लोगों का सबसे लोकप्रिय और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। बता दें कि इसका निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम की पत्नी महारानी कनकवती ने अपने पुत्र जगतसिंह की याद में करवाया था। इस मंदिर में मीराबाई, भगवान कृष्ण तथा भगवान विष्णु की पूजा होती है।
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इस मंदिर के निर्माण कार्य 1599 ई. में आरंभ हुआ और 1608 ई. में यह बनकर तैयार हुआ। महारानी की इच्छा थी कि उनके पुत्र को इस मंदिर के द्वारा सदियों तक याद किया जाए इसलिए इस मंदिर का निर्माण जगत शिरोमणि रखा गया। यह मंदिर आमेर के किले के काफी नजदीक है। जन्माष्टमी के मौके पर यहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इस मंदिर को लेकर राजस्थान में कई कहानियां हैं। बताया जाता है मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति वही है जिनकी पूजा मीराबाई किया करती थीं। मुगल सैनिक श्रीकृष्ण की इस प्रतिमा को नष्ट करना चाहते थे लेकिन आमेर के शासकों ने इनकी रक्षा की।

जगत शिरोमणि मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ उनकी भक्तिनी मीराबाई की भी प्रतिमा लगवाई गई है। मीराबाई एक राजपूत कन्या थीं, उनका विवाह राजा भोज के साथ हुआ था। लेकिन उन्होंने भगवान कृष्ण को ही अपना पति मान लिया था। 
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