इस दिन से शुरू हो रही है देश की सबसे बड़ी रथयात्रा, 1 क्लिक में जानिए इसका महत्व

Friday, Jul 01, 2022 - 12:55 PM (IST)

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देश की सबसे बड़ी रथयात्रा आरंभ हो रही है। जी हां, आप सही समझ रहे हैं हम बात कर रहे हैं पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा की जो 1 जुलाई दिन शुक्रवार को पुरी में जगन्नाथ यात्रा का प्रारंभ हो रही है। प्रचलति मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ शामिल होती है। इस दौरान तीनों अलग-अलग विशाल रथों पर सवार होते हैं। बताया जाता है इस दौरान महाप्रभु जगन्नाथ जी अपने धाम से निकल कर गुंडिचा मंदिर जाते हैं, उसे उनकी मौसी का घर कहा जाता है। वहां पर भगवान जगन्नाथ सात दिनों तक रहते हैं। कहते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा में जानें मात्र से ही इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा बता दें साल 2022 में जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई से शुरू हो रही है और इसका समापन 12 जुलाई को होगा।

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसका जिक्र है।

यहां जानें रथ यात्रा का कार्यक्रम-
रथ यात्रा का प्रारंभ शुक्रवार, 01 जुलाई 2022 गुंडिचा मौसी के घर जाने की परंपरा से प्रारंभ होगा और मंगलवार, 05 जुलाई 2022 हेरा पंचमी तक पहले पांच दिन भगवान गुंडिचा मंदिर में वास करेंगे। और इसके बाद शुक्रवार, 08 जुलाई 2022  संध्या दर्शन पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल तक श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है। शनिवार, 09 जुलाई 2022 बहुदा यात्रा पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की घर वापसी रविवार, 10 जुलाई 2022 सुनाबेसा जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेते हैं।
 

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सोमवार, 11 जुलाई 2022 आधर पना आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर दिव्य रथों पर एक विशेष पेय चढ़ाया जाता है। इसे पना कहते हैं, जो दूध, पनीर, चीनी और मेवा से बनता है। इसके बाद मंगलवार, 12 जुलाई 2022 नीलाद्री बीजे जगन्नाथ रथ यात्रा के सबसे दिलचस्प अनुष्ठानों में एक है नीलाद्री बीजे।

कहते हैं इन दस दिनों तक व्यक्ति की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। इस रथयात्रा का पुण्य 100 यज्ञों के बराबर होता है। इस समय उपासना के दौरान अगर कुछ उपाय किए जाएं तो श्री जगन्नाथ अपने भक्तों की समस्या को जड़ से खत्म कर देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रथ यात्रा भगवान जगन्‍नाथ जी के मंदिर से निकालकर प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मन्दिर तक पहुंचाया जाता है। जहां पर भगवान जगन्‍नाथ जी सात दिनों तक विश्राम करते हैं। सात दिनों तक विश्राम करके के बाद मंदिर में वापसी आ जाते हैं। इस रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

Jyoti

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