जगन्नाथ रथयात्रा 2019ः भगवान के रथ से जुड़ी ये खास बात नहीं जानते होंगे आप

Wednesday, Jul 03, 2019 - 10:58 AM (IST)

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा हर साल की तरह इस साल भी बड़ी धूम-धाम से मनाई जाएगी। यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है, जोकि इस बार 04 जुलाई दिन गुरुवार को पड़ रही है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा हर साल उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में पारंपरिक रीति रिवाज के साथ बड़े ही धूमधाम से आयोजित की जाती है। रथयात्रा में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लोग उड़ीसा के पुरी धाम में पहुंचते हैं। रथयात्रा में मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अलग अलग तीन भव्य एवं सुसज्जित रथों पर विराजमान होकर यात्रा पर निकलते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। 

रथयात्रा पर भगवान को पुरी के नगर का भ्रमण करवाया जाता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्रजी और देवी सुभद्रा रथ में बैठकर जगन्नाथ मंदिर से जनकपुर स्थित गुंढ़ीचा मंदिर जाते हैं, जोकि उनकी मौसी का घर है। इसके बाद दूसरे दिन रथ पर रखी भगवान जगन्नाथजी, बलभद्रजी और सुभद्राजी की मूर्तियों को विधि पूर्वक उतार कर मौसी के मंदिर में लाया जाता है। गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को ‘आड़प-दर्शन’ कहा जाता है। यहां सात दिन विश्राम करने के बाद 8वें दिन आषाढ़ शुक्ल दशमी को सभी रथ पुन: मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा को रस्म बहुड़ा यात्रा कहते हैं। 

रथयात्रा के लिए जिन रथों का निर्माण किया जाता है उनमें किसी तरह की धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये सभी रथ तीन प्रकार की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाएं जाते हैं। इसके लिए नीम के स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है। रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है। जगन्नाथजी का रथ सोलह पहियों का होता है, जिसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का प्रयोग किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है और यह अन्य रथों से आकार में बड़ा भी होता है। यह यात्रा में बलभद्र और सुभद्रा के रथ के पीछे होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ पर हनुमान और नृसिंह का प्रतीक अंकित होता है।  

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