Jagadish Chandra Bose Story: सरकार झुकती है झुकाने वाला चाहिए

Tuesday, Mar 12, 2024 - 10:31 AM (IST)

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Jagadish Chandra Bose Story: प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु कलकत्ता में विज्ञान का गहन अध्ययन तथा शोधकार्य कर रहे थे, साथ ही वह एक महाविद्यालय में पढ़ाते भी थे। उसी महाविद्यालय में कुछ अंग्रेज अध्यापक भी विज्ञान पढ़ाते थे। उनका पद तथा शैक्षणिक योग्यता बसु के समान होते हुए भी उन्हें बसु से अधिक वेतन दिया जाता था।

अन्याय करना पाप है तथा अन्याय सहना दोगुना पाप है- महापुरुषों के इस सिद्धांत को मानने वाले बसु के लिए यह अन्याय असहनीय था। उन्होंने सरकार को इस विषय में पत्र लिखा परंतु सरकार ने उस पर कोई ध्यान  नहीं दिया। बसु ने इस अन्याय के विरोध में प्रतिमास वेतन यह कह कर लौटाना आरंभ किया कि जब तक उन्हें अंग्रेज अध्यापकों के बराबर वेतन नहीं दिया जाएगा वह वेतन स्वीकार नहीं करेंगे।

इससे घर में पैसे की तंगी होने लगी। अध्ययन और शोधकार्य बिना धन के हो नहीं सकते थे। बसु चिंतित हुए और इस विषय में उन्होंने अपनी पत्नी से चर्चा की। 

इस पर उनकी पत्नी ने उन्हें अपने सब आभूषण दे दिए और कहा, ‘‘इनसे कुछ काम चल जाएगा। इसके अलावा अगर हम लोग कलकत्ता के महंगे मकान को छोड़कर हुगली के सस्ते मकान  में रहें तो खर्च में काफी कमी आ जाएगी।’’

जगदीश चंद्र 3 वर्ष तक बिना वेतन लिए काम करते रहे जिससे उन   पर कर्ज हो गया। ऋण चुकाने के लिए उन्हें अपनी पैतृक जमीन भी बेचनी पड़ी। आखिर बसु की जिद के आगे ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा। तब सरकार ने उनकी नियुक्ति की तारीख से लेकर पूरा वेतन उन्हें दिया।

Prachi Sharma

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