Politics में जाने से पहले जरूरी है ज्योतिष ज्ञान
Sunday, Jun 03, 2018 - 12:30 PM (IST)
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किसी भी देश की संस्कृति, सभ्यता, निष्ठा, प्रगति और भाषा उसके राजनीति दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। राजनीति एक गहन विषय है, अविभाज्य अंग है। एक अच्छा राजनीतिज्ञ अपने क्षेत्र में विकास के मार्ग पर अग्रसर होता है। वर्तमान में राजनीति का स्वरूप पूर्ण रूप से बदल चुका है और बदलने के मार्ग पर अग्रसरित है। राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण व सफल राजनीतिज्ञ बनने के लिए जन्म कुंडली में ‘राजनीति योग’ होना अति आवश्यक है। अच्छा राजनीतिज्ञ बनने के लिए उसकी नीतियां, कार्यप्रणाली, धनराशि, वाक् शक्ति, सामाजिक कार्य में योग्यता-निष्ठा आदि महत्व रखती है। राजनेता के लिए सूर्य का बलवान होना महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य ग्रह राजा का प्रतिनिधित्व करता है।
राजनेता बनने के लिए दसवां भाव, दशमेश, सूर्य एवं चन्द्र ग्रहों के बली होने के साथ-साथ मंगल, गुरु, राहु और बुध भी बली होने चाहिएं क्योंकि मंगल से पराक्रम और नेतृत्व का विचार किया जाता है। गुरु से विवेक शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता का अध्ययन होता है तथा राहु ग्रह छल, कपट, शौर्य, शक्ति, पराक्रम को दर्शाता है। जन्म कुंडली में सूर्य का लग्र चतुर्थ, नवम अथवा दशम भाव में बैठने और शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ने से व्यक्ति राजनीति के शिखर पर पहुंचता है। राजनीति में उत्कृष्टता के लिए लग्र, लग्नेश, तृतीय-तृतीयेश, चतुर्थ-चतुर्थेश, पंचम-पंचमेश, षष्ठ-षष्ठेश, नवम्-नवमेश, दशम-दशमेश एवम् एकादश-एकादशेश का भी विचार करना जरूरी है। इन सब भावों और भावाधिपति के बलवान होने से राजनीति में पद के साथ-साथ पहचान मिलती है। जन्म कुंडली में लग्र व्यक्ति स्वयं होता है। तृतीय भाव शक्ति, सेना का नेतृत्व करता है।
चतुर्थ भाव जन-समुदाय और सुख का भाव है। पंचम भाव से राजनीति में राजकीय योग्यता और पद की उपयोगिता, षष्ठ भाव से राजनीति की रणनीति और कार्य करने की शैली, नवम भाव भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है। दशम भाव राजनीति के कार्य को दर्शाता है और एकादश भाव आय प्राप्ति का प्रतीक है। दशमेश का छठे भाव के स्वामी से दृष्टि अथवा युती संबंध राजनीति में पहचान दिलाता है। एक सफल राजनेता बनने के लिए जनता के प्रति सेवा भाव होना चाहिए इसलिए दशमेश का संबंध छठे भाव से होना जातक को जनप्रिय बनाता है। बशर्ते दशमेश और छठे भाव के स्वामी पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि न हो।
सफल राजनेता चतुराई से समस्त बाधाआें पर विजय प्राप्त कर लेता है। राहु राजनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है। राहु यदि कुंडली में उच्च का हो तो व्यक्ति राजनीति में अपनी चालाकियों का प्रयोग करके पद प्राप्त करता है। जन्म कुंडली के दशम भाव में राहु स्थित होने से व्यक्ति कपट, छल आदि विधा में माहिर भी होता है, इसके विपरीत गुरु दशम भाव में होने से सत्य और निष्ठा की राजनीति करवाता है।
वाक् शक्ति राजनेता का आभूषण है। बुध का संबंध द्वितीय भाव से हो और उस पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति, अपनी आवाज के जादू का प्रयोग, राजनीति में करता है। राजनीति के शिखर पर पहुंचने के लिए जन्म कुंडली में राजयोग नितांत आवश्यक है जैसे ‘चक्रवर्ती राजयोग’, ‘नीचभंग राजयोग’, ‘रूचक’, ‘भद्र’, ‘हंस’, ‘मालव्य’, ‘शश’ नामक पंचमहापुरुष योग, ‘राजराजेश्वर योग’, ‘महाराज योग’, ‘गजकेसरी योग’, ‘श्रीनाथ योग’, ‘दामिनी योग’, ‘कुसुम योग’, ‘काटल योग’, ‘अमला योग’, ‘कीर्त योग’ आदि में से एक या दो योग भी, व्यक्ति को राजनीति के क्षेत्र में उच्च पद, प्रतिष्ठा-यश आदि प्राप्त कराते हैं।
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