International Women's Day 2019: महिलाओं के बारे में क्या कहते हैं शास्त्र

Wednesday, Mar 06, 2019 - 02:53 PM (IST)

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8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्व भर में मनाया जा रहा है। ये दिन महिलाओं को समर्पित है। उन्हें खासतौर पर आदर देने के लिए ये दिन सेलिब्रेट किया जाता है। इंटरनेशनल विमेंस डे के माधयम से महिला सशक्तिकरण का संदेश जग के कण-कण में फैलाया जाता है। ये दिन आधुनिक समाज की देन है। आइए जानें हमारे वेदों, ग्रंथों, शास्त्रों और पुराणों में महिलाओं के बारे में क्या कहा गया है-

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प्राचीनकाल से ही नारी के मातृशक्ति का विशेष गौरव रहा है गार्गी, मैत्रेयी, सीता सावित्री ने पुरुषों से भी शास्त्रार्थ किया था। शंकर के अंशावतार श्रीशंकराचार्य का भी मंडन मिश्र की धर्मपत्नी ने एक बार एक विषय का अनुभव करने के लिए परकाया में प्रवेश करने तक को बाध्य कर दिया था। आधुनिक युग में मीरा, मदालसा, तथा वीरांगना लक्ष्मीबाई आदि प्रमुख हैं। अत: जगत में नारी जाति एक महान रत्न है। सुधीजन कहते भी हैं, ‘‘जगत में नारी रत्न की खानि’’ इसी खान से प्रकट हुए हैं-ध्रुव प्रह्लाद। नवरात्रों में सभी साधक कुमारी कन्याओं को माता दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। अत: सनातन वैदिक धर्म में नारी शक्ति को प्रथम पूज्य मानकर सर्वश्रेष्ठ रूप से स्वीकार किया गया है। वेद गीता के मतानुसार शक्ति और शक्तिमान सूत्र परमात्मा ही है।

शक्ति और शक्तिमान के माध्यम से ही सारे संसार का सृजन होता है। भारतीय संस्कृति में जो ज्ञान के भंडार वेद हैं उनमें शक्ति की महिमा का विशेष रूप से वर्णन है। शास्त्रों में कहा गया है- मातृ देवो भव पितृ देवो भव आचार्य देवो भव:

अर्थात- तीन देवताओं में मातृशक्ति को प्रधान देवता कहा गया है।

वेदों में भी मातृशक्ति की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है-
प्रदिति द्यौरदितिरन्त रिक्ष मदितिम्र्माता सपितास पुत्र:।
मातृ पितृ चरण कमलेम्यो नम:।

अर्थात- इस मंत्र में भी प्रथम माता के चरणों के उपरांत पिता के चरणों को प्रणाम करने की प्रेरणा निहित है।

शास्त्र शिरोमणि भगवत गीता जो सगुण साकार भगवान की वाणी है उसके दशम अध्याय विभूति योग में भगवान श्रीकृष्ण नारी शक्ति को अपनी विभूति का वर्णन करते हुए कहते हैं-
र्कीत: श्री वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृति क्षमा
(गीता-10 श्लोक-34)

श्रुति स्मृति जो दोनों परब्रह्म परमात्मा की वाणी हैं, उनमें नारी शक्ति का विशेष महत्व बताया है। धर्म शास्त्र मनुस्मृति में मनु जी ने भी नारी शक्ति को परम श्रेष्ठ कहा है-
उपाध्याषटगुणानमाचार्य उप्राचार्यान्षत गुन्पिता
सहस्त्र गुणान्तु पितु माता गौखेणा तिरिच्यते।
-मनुस्मृति

अर्थात उपाध्यायों से दस गुणा आचार्य से सौ गुणा पिता और पिता से माता हजारों गुणा श्रेष्ठ होती है। श्री रामचरित मानस में जब श्रीराम ने माता कौशल्या से वनगमन के लिए आदेश देने के लिए कहा तो माता ने कहा तुम वन को प्रस्थान करो, श्री राम ने कहा,  ‘‘मां, पिता का आदेश है।’’ 

माता ने कहा,  ‘‘हे राम! यदि पिता ने वनगमन का आदेश दिया है तो मैं अपने विशेषाधिकार से उस वनगमन के आदेश को निरस्त करती हूं क्योंकि आपके पिता श्रेष्ठ हैं किंतु पिता से माता का संतान पर विशेषाधिकार होता है।’’

जो केवल पितु आयुस ताता, तौ जनि जाहु जानि बडि़ माता। -श्रीरामचरित मानस

महाभारत जिसे ऋषियों ने पंचम वेद कहा है उसमें भी नारी-शक्ति के महत्व का वर्णन है। इस ग्रंथ में महिलाओं के विषय में कहा गया है- पितृ वृत्या इमम् लोके मातृ वृत्या तथा परम महाभारत। 

अर्थात- पिता की ब्रह्मभाव से सेवा करने वाले का यश इस लोक में हो

ता है परंतु माता की सेवा-भक्ति वाले साधक की प्रतिष्ठा तो परलोक में भी होती है। वस्तुत: भारतीय संस्कृति में माता को मनुष्यों में तो क्या देवताओं में भी सर्वश्रेष्ठ देवता कहा गया है।

नान्नोदक समं दानं ना तिथिद्र्वादशी समा गायत्रा परोमन्त्रो न मातृदेव मत:

अर्थात- अन्न जल के समान कोई दान नहीं। द्वादशी से बढ़कर कोई तिथि नहीं, गायत्री से बढ़कर कोई मंत्र नहीं और माता से बढ़कर कोई देवता नहीं। माता एक ऐसा देवता है जिससे सभी ऋषि-मुनि तथा जीव जन्मते हैं और तो क्या श्री भगवान जी भी जब अवतार धारण करते हैं, तब वह किसी ममता मयी माता के समक्ष ही प्रकट होते हैं। रामायण में श्रीराम भी माता कौशल्या के सम्मुख प्रकट हुए। श्रीमद् भागवत में श्रीकृष्ण भगवान भी माता देवकी के सामने चार बाहों से अवतरित हुए यह लोक प्रसिद्ध ही है।

मातृशक्ति की महानता के कारण सभी संत महात्मा भगवत स्मरण अथवा कीर्तन करते हैं, तब माता के नाम से ही शब्द प्रथम उच्चारण करते हैं। यथा सीताराम, राधेश्याम, गौरीशंकर इत्यादि।

नारी शक्ति के रूप में परमात्मा श्रद्धा, सद्भावना तथा करुणा के रूप में अनुभूत होता है। वासुदेव सर्वम् गीता। गीता-गंगा-गायत्री को हिंदू धर्म की आधारशिला माना गया है।

गीता गंगा गायत्री, गौ गुरु तुलसी दलम, 
पूजा च पंच देवानां हिंदू धर्मस्य रक्षणम्।
गीता गंगा गायत्री, गौ गुरु तुलसी दल तथा पंच देवों की उपासना यह हिंदू धर्म का लक्षण है। यह सत्य ही शास्त्र का वचन है कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का निवास होता है। 

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Niyati Bhandari

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