चाणक्य नीति: बुद्धिमान पुरूष को अध्ययन व मनन में बिताना चाहिए अपना समय

Friday, Feb 16, 2018 - 01:55 PM (IST)

चाणक्य नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य द्वारा कई नीतियों का वर्णन मिलता है, जिनसे व्यक्ति को अपने जीवन के हर कार्य में आसानी मिलती है। यह नीति शास्त्र एक नीति ग्रंथ माना गया है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए अनकों उपयोगी सुझाव मिलते हैं। इसका मुख्य विषय मानव मात्र को जीवन के प्रत्येक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इसमें मुख्य रूप से धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा एवं सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की प्रगति की झांकियां प्रस्तुत की गई हैं।

यहां जानें आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति के एक श्लोक के बारे में जिसमें उन्होंने महाभारत व रामायण के उदाहरणों का उल्लेख किया है। 


श्लोक-
प्रातद्र्यूतप्रसंगेन मध्यान्हे स्त्रीप्रसंड्गत:।
रात्रौ चौर्यप्रसंगेन कालो गच्छत्यधीमताम्।।


अर्थ: बुद्धिमान पुरूषों को अपना समय अध्ययन तथा मनन में बिताना चाहिए। उन्हें सुबह उठ कर जुआरियों की कहानी (महाभारत), दिन में स्त्रियों के क्रिया-कलापों तथा रात को चोरों की गतिविधियों के बारे में पढ़ना चाहिए।

इस श्लोक में चाणक्य ने महाभारत तथा रामायण के उदाहरणों का उल्लेख किया है। जुआरियों की कहानी से तात्पर्य युधिष्ठिर से है जिन्होंने जुए में न केवल अपने राज-पाट को हार दिया वरन पत्नी द्रौपदी को भी भरी सभा में निर्वस्त्र होने के लिए विवश कर महाभारत के युद्ध की नींव रखी। इसी तरह स्त्रियों के क्रिया-कलाप से उनका उल्लेख रामायण में कैकयी तथा शूर्पनखा की कहानी से हैं। कैकयी ने जहां अपनी जिद से राम के लिए वनवास मांग राजा दशरथ की मृत्यु और भरत की शत्रुता का अपराध किया था, वहीं शूर्पनखा अपने महाबली भाई रावण तथा उसके पूरे परिवार के अंत का कारण बनी।

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