बुरा काम करने से पहले पढ़े ये कथा, बदल जाएगा नजरिया

Monday, Sep 04, 2017 - 12:13 PM (IST)

संसार का हर जीव-जंतु एक विशिष्ट उपकरण की निगरानी में है। जिस तरह आजकल सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे होते हैं और हमारी हर प्रक्रिया उसमें कैद हो जाती है, उसी तरह हमारा हर कर्म भी एक जगह सुरक्षित है। हमारा अवचेतन मन वह सजीव उपकरण है जिस चिप में हमारे हर कर्म का रिकॉर्ड रहता है। जिस तरह सी.डी. में हर तरह का ऑडियो, वीडियो डाटा स्टोर हो जाता है, उसी तरह हमारे अवचेतन मन में वीडियो और ऑडियो आदि का किसी भी रूप में डाटा स्टोर हो सकता है। सबसे बड़ी बात मानव निर्मित सी.सी.टी.वी. को कोई भी खराब या बंद कर सकता है लेकिन इस विलक्षण सजीव कैमरे से बचने का कोई तरीका नहीं है। कई बार बुरे कर्म करते रहने पर भी किसी व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों की सजा नहीं मिलती और हम मान लेते हैं कि भगवान के निर्णय में खोट है जबकि वह व्यक्ति या तो अपने पूर्व जन्म के कर्मों का सुख भोग रहा होता है या उनके गुनाहों का घड़ा भरने में समय होता है। भगवान हर व्यक्ति को उसके अवचेतन मन में कैद कर्मों के अनुसार परिणाम अवश्य सुनाता है। 

एक बार की बात है रमन ने राज का बड़ी बेदर्दी के साथ कत्ल कर दिया। जिस वक्त वह कत्ल कर रहा था उसे एहसास भी न था कि कोई उसे देख रहा है। रघु ने छिपकर इस सारी वारदात को देखा। रघु कालेज में पढ़ने वाला एक साधारण लड़का था। वह देख कर समझ ही नहीं पाया कि वह कैसे इस गुनाह को दुनिया और पुलिस के सामने लाए। वह बहुत डर गया था। कई दिन वह बहुत सहमा-सा रहा लेकिन वक्त ऐसा मरहम है जो हर जख्म को भर देता है। रघु भी कुछ समय बाद इस बात को ऐसे भूल गया जैसे कुछ हुआ ही न हो। 

कई सालों तक राज के कत्ल का केस कोर्ट में चलता रहा। रमन का समाज में अच्छा प्रभाव था। बड़े-बड़े लोगों से उसका उठना-बैठना था तो उसने अपने आप को बड़ी सरलता से इस केस से दूर कर लिया लेकिन पुलिस पर दबाव आने लगा और इस केस को सुलझाना जरूरी हो गया। फिर क्या था, एक व्यक्ति जिसका नाम अमन था, उसे इस कत्ल का जिम्मेदार बना दिया गया। सारे सबूत भी अमन के ही खिलाफ बना दिए गए और कोर्ट में पेश कर दिए गए। अमन को सजा मिलनी तय थी। जिस दिन अमन को सजा मिलनी थी उस दिन उस कोर्ट में नए जज का तबादला हुआ था। जब केस जज के सामने रखा गया तो सारी दलीलें और सबूत देखने-सुनने के बाद जज ने अमन को कुछ देर के लिए अपने कैबिन में मिलने के लिए बुलाया। 

यह जज और कोई नहीं, रघु ही था जो राज के कत्ल का एकमात्र चश्मदीद गवाह था लेकिन उस केस का जज होने के कारण उसकी गवाही मान्य नहीं थी। रघु यह बात बिल्कुल सहन नहीं कर पा रहा था कि उसे एक निर्दोष को सजा सुनानी पड़ेगी। रघु ने अमन को अपने कैबिन में बिठाकर कहा, ‘‘मुझे पता है कि तुमने यह कत्ल नहीं किया है लेकिन सभी सबूतों में ये तुम्हारा गुनाह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है। क्या मैं जान सकता हूं कि तुमने कभी कोई ऐसा संगीन जुर्म किया है जिसकी तुम्हें आज तक सजा नहीं मिली।’’ 

अमन भावुक हो गया और उसने बताया कि कुछ वर्ष पहले गुस्से में उसने एक व्यक्ति का खून कर दिया था, जिसका आज तक किसी को नहीं पता। तब रघु ने कोर्ट में वापसी की और अमन को उसके गुनाह की इस गुनाह के माध्यम से सजा सुनाई। उसे 7 वर्ष की कैद हो गई। अब रघु निश्चिंत था कि उसने कोई गलत निर्णय नहीं किया। अब रघु ने रमन की तलाश शुरू कर दी जिसने राज को मारा था क्योंकि रमन का समाज में अच्छा नाम था तो उसे ढूंढने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। गुप्त सूत्रों से पता चला कि उसे कई साल पहले कैंसर की बीमारी हो गई थी और अब तक वह दिन-रात उस बीमारी से जूझ रहा है। मौत एक बार पीड़ा देकर प्राण हर लेती है लेकिन उसकी इतनी बुरी हालत है कि वह हर रोज मौत के लिए प्रार्थना कर रहा है। 

रघु एक जज था और वह भगवान के सच्चे निर्णय से बहुत प्रभावित हुआ। भगवान द्वारा एक ही जैसा जुर्म करने वालों को अलग-अलग सजा दी गई। रमन को हर दिन जान लेने वाली बीमारी और अमन को 7 वर्ष की कैद क्योंकि भगवान हर प्राणी के एक-एक कर्म का हिसाब रखता है। भगवान हर प्राणी को उसके कर्मों के हिसाब से निर्णय देता है। सबसे बड़ी अदालत उस ईश्वर की है जहां से कभी भी कोई नहीं बच सकता। भगवान के यहां देर है लेकिन अंधेर नहीं। हमें अपने अच्छे कर्मों का ईनाम और बुरे कर्मों की सजा इसी जीवन में मिलती है।
 

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