नजरिए पर निर्भर करता है व्यक्ति का परेशानी में फंसना अौर निकलना

Friday, Jul 07, 2017 - 12:37 PM (IST)

एक शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसके पास बहुत पैसा था और उसे इस बात पर बहुत घमंड भी था। एक बार किसी कारण से उसकी आंखों में इन्फैक्शन हो गया। आंखों में बुरी तरह जलन होती थी। वह डॉक्टर के पास गया लेकिन डॉक्टर उसकी इस बीमारी का इलाज नहीं कर पाया। सेठ के पास बहुत पैसा था। उसने देश-विदेश से बहुत सारे नीम-हकीम और डाक्टर बुलाए। एक बड़े डाक्टर ने बताया कि आपकी आंखों में एलर्जी है। आपको कुछ दिन तक सिर्फ हरा रंग ही देखना होगा और कोई और रंग देखेंगे तो आपकी आंखों को परेशानी होगी।

अब क्या था, सेठ ने बड़े-बड़े पेंटरों को बुलाया और पूरे महल को हरे रंग से रंगने के लिए कहा। वह बोला-मुझे हरे रंग के अलावा कोई और रंग दिखाई नहीं देना चाहिए, मैं जहां से भी गुजरूं हर जगह हरा रंग कर दो। इस काम में बहुत पैसा खर्च हो रहा था लेकिन फिर भी सेठ की नजर किसी अलग रंग पर पड़ ही जाती थी।

वहीं शहर से एक सज्जन पुरुष गुजर रहा था। उसने चारों तरफ हरा रंग देख कर लोगों से कारण पूछा। सारी बात सुनकर वह सेठ के पास गया और बोला-सेठ जी आपको इतना पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है। मेरे पास आपकी परेशानी का एक छोटा-सा हल है। आप हरा चश्मा क्यों नहीं खरीद लेते फिर सब कुछ हरा हो जाएगा। 

सेठ की आंख खुली की खुली रह गई। उसके दिमाग में यह शानदार विचार आया ही नहीं, वह बेकार में इतना पैसा खर्च किए जा रहा था। तो मित्रो, जीवन में हमारी सोच और देखने के नजरिए पर भी बहुत सारी चीजें निर्भर करती हैं। कई बार परेशानी का हल बहुत आसान होता है लेकिन हम परेशानी में फंसे रहते हैं।

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