जाको राखे साइयां, मार सके न कोई

Saturday, Dec 10, 2016 - 11:58 AM (IST)

बहुत समय पहले की बात है। किसी गांव में एक किसान रहता था। उसके पास बहुत सारे जानवर थे, उन्हीं में से एक गधा भी था। एक दिन वह चरते-चरते खेत में बने एक पुराने सूखे हुए कुएं के पास जा पहुंचा और अचानक ही उसमें फिसल कर गिर गया। गिरते ही उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया-‘ढेंचू-ढेंचू, ढेंचू-ढेंचू...’। उसकी आवाज सुन कर खेत में काम कर रहे लोग कुएं के पास पहुंचे और किसान को भी बुलाया गया।


किसान ने स्थिति का जायजा लिया। उसे गधे पर दया तो आई लेकिन उसने मन में सोचा कि इस बूढ़े गधे को बचाने से कोई लाभ नहीं है और इसमें मेहनत भी बहुत लगेगी, साथ ही कुएं की भी कोई जरूरत नहीं है। उसने बाकी लोगों से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हम किसी भी तरह इस गधे को बचा सकते हैं अत: आप सभी अपने-अपने काम पर लग जाइए, यहां समय गंवाने से कोई लाभ नहीं।’’


ऐसा कह कर वह आगे बढऩे को ही था कि एक मजदूर बोला, ‘‘मालिक, इस गधे ने वर्षों तक आपकी सेवा की है, इसे इस तरह तड़प-तड़प कर मरने देने से अच्छा होगा कि हम उसे इसी कुएं में दफना दें।’’


किसान ने भी सहमति जताते हुए उसकी हां में हां मिला दी। ‘‘चलो हम सब मिलकर इस कुएं में मिट्टी डालना शुरू करते हैं और गधे को यहीं दफना देते हैं’’,  किसान बोला।


गधा ये सब सुन रहा था तथा अब वह और भी डर गया। उसे लगा कि कहां उसके मालिक को उसे बचाना चाहिए, उलटे वे लोग उसे दफनाने की योजना बना रहे हैं परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और भगवान को याद कर वहां से निकलने के बारे में सोचने लगा।


अभी वह अपने विचारों में खोया ही था कि अचानक उसके ऊपर मिट्टी की बारिश होने लगी। गधे ने मन ही मन सोचा कि भले कुछ भी हो जाए वह अपना प्रयास नहीं छोड़ेगा और आसानी से हार नहीं मानेगा। वह पूरी ताकत से उछाल मारने लगा। किसान ने भी औरों की तरह मिट्टी से भरी एक बोरी कुएं में झोंक दी और उसमें झांकने लगा। उसने देखा कि जैसे ही मिट्टी गधे के ऊपर पड़ती वह उसे अपने शरीर से झटकता और उछल कर उसके ऊपर चढ़ जाता।  किसान भी समझ चुका था कि अगर वह यूं ही मिट्टी डलवाता रहा तो गधे की जान बच सकती है। फिर क्या था, वह मिट्टी डलवाता गया और देखते-देखते गधा कुएं के मुहाने तक पहुंच गया और अंत में कूद कर बाहर आ गया।

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