Inspirational Story: जीवन की ढलती संध्या, बेटे हुए पराए तो मां का छूट गया घर

punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2022 - 06:45 AM (IST)

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Inspirational Story: जिस मां के दो-दो बेटे और बहुओं तथा नाती-पोतों का भरा-पूरा परिवार हो, उसे बुढ़ापे की क्या चिंता लेकिन 75 वर्षीय एक मां अपने घर से दूर वृन्दावन के वृद्धाश्रम में जीवन के अंतिम दिन बिता रही है क्योंकि बेटे पराए हो चुके हैं। बहुओं को सास पर खर्च करना अखरता है, इसलिए बेटों ने मां को अनाथ छोड़ दिया है।

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उस्मानपुर, दिल्ली की ‘माया शर्मा’ के पति का 30 वर्ष पहले निधन हुआ था। वह अपने बड़े बेटे-बहू के साथ वृद्धावस्था में किसी तरह जीवन बिता रही थीं। छोटे बेटे ने मनमर्जी से शादी कर ली तो मां का सम्मान और घट गया। जिन बहुओं को सेवा करनी चाहिए थी, उन्हें सास का बुढ़ापा आफत सा लगने लगा।

बेटों से दवाओं के लिए भी पैसे मांगने पर बहुएं ताना देतीं। पोते-पोतियों से लाड़-लड़ाने का हक भी उनसे छीन लिया गया। अंतत: ‘माया शर्मा’ डेढ़ वर्ष पूर्व परिवार छोड़कर वृन्दावन आ गईं। यहां गौरी-गोपाल आश्रम में उन्हें आश्रय मिला, जहां वह अपने जैसी अन्य महिलाओं के साथ अब भजन करती हैं।

आश्रम में हर बात का आराम है, फिर भी ‘माया शर्मा’ कहती हैं कि ‘‘अगर बुढ़ापा परिवार के प्रेम के साथ कटता तो ज्यादा अच्छा होता।’’

मूल से ज्यादा ब्याज को प्यारा बताते हुए वह अपने नाती-पोतों को याद कर भावुक हो जाती हैं। आंखों में आंसू लिए भरे गले से कहती हैं, ‘‘किसी को अपना घर बुरा नहीं लगता। सबको अपने बच्चे, नाती-पोते प्यारे लगते हैं। मजबूरी में ही घर छोड़ना पड़ता है।’’

उनको इस बात का दुख है कि अगर उनकी बहुओं को मायके से सही शिक्षा मिलती तो उन्हें भी बेटों की सेवा नसीब होती।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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