Inspirational Story: बेटे के प्यार में तड़पते पिता की अनोखी ‘वसीयत’

Thursday, Jul 21, 2022 - 09:57 AM (IST)

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No love is greater than that of a father for his son: रामसहाय जोशी जी ने उस घर में अपने प्राण त्याग दिए, जिसे उन्होंने बड़े ही प्यार, कड़ी मेहनत, लग्र, निष्ठा एवं खून से सींच कर बनाया था। कैसे-कैसे उन्होंने यह घर बनाया और कैसे-कैसे उनके दिल में अरमान थे, बस यह तो जोशी ही जानते थे। चार बेटों के लिए उन्होंने चार सैट बनवा रखे थे परन्तु चारों ही उनसे यानी इस घर से दूर अपने-अपने काम-धंधों में व्यस्त थे।

इसे जोशी जी का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि वे चारों कभी एक साथ अपने परिवारों सहित इकट्ठे जोशी जी के साथ नहीं रहे। पत्नी पहले ही जा चुकी थी और जोशी जी की बड़ी तमन्ना थी कि उनका पूरा परिवार एक साथ एक ही समय इस घर की छत के नीचे रहे। आज उनकी वसीयत पढ़ी जानी थी। घर के सभी सदस्य मौजूद थे। आज के समय के हिसाब से घर अच्छी-खासी कीमत का था, अत: सब में उत्सुकता थी।

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वसीयत पढ़ी गई जिसमें लिखा था, ‘‘मेरे मरने के बाद इस घर पर मेरे चारों बेटों का बराबर का अधिकार रहेगा। वे यहां पर जैसे चाहें रह सकते हैं, परन्तु न तो वे इसे किराए इत्यादि पर देंगे, न ही बेचने के हकदार होंगे। ऐसा करते हैं तो उनका हक खत्म हो जाएगा और घर अनाथ आश्रम, विधवा आश्रम अथवा वृद्ध आश्रम के लिए दे दिया जाएगा।’’

इस अनोखी वसीयत पर सभी चकित थे... शायद जोशी जी जीते जी न सही, मरने के बाद ही सही, पूरे परिवार को अपने घर में इकट्ठा देखने की अपनी अंतिम इच्छा पूरी करना चाहते थे।

Niyati Bhandari

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