Inspirational Story: सदा ले डूबती है आपस की फूट, पढ़ें रोचक कथा

Thursday, Sep 23, 2021 - 10:35 AM (IST)

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Inspirational Story: किसी गांव में एक तालाब था। तालाब के किनारे एक हरा-भरा पेड़ था जिस पर दो तोते रहते थे। उसका मोटा तना भीतर से खोखला था। उसके भीतर घुसने के लिए एक सुराख बना था। दोनों ने पेड़ के उस खोखले तने को अपना घर बना लिया। दोनों तोते साथ-साथ रहने की वजह से एक-दूसरे को अपना मित्र मानते थे। चूंकि दोनों ही स्वयं को एक-दूसरे से बढ़कर सच्चा मित्र समझते थे तो वे खुद को बड़ा और दूसरे को छोटा समझने की भूल के शिकार थे। फिर भी किसी तरह दोनों अपनी-अपनी मित्रता निभा रहे थे।

दिन में कुछ समय के लिए दोनों को दाना चुगने के लिए गांव की ओर जाना पड़ता था। उन्हें मालूम था कि गांव का ही एक व्यक्ति चालाक शिकारी है। वह तोतों को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लेता और उन्हें शहर में बेच आता है इसलिए वे दोनों सावधान रहते। पहला तोता जब दाना चुग रहा होता तो दूसरा इधर-उधर देखता रहता कि कहीं शिकारी तो नहीं आ रहा। थोड़ी देर बाद दूसरा तोता दाना चुगने लगता और पहला चौकीदारी करने लगता।

दोनों तोते खूब मोटे-ताजे थे। इसी कारण सुंदर भी लगते थे। शिकारी की नजर बहुत दिनों से उन पर थी पर वे उसके हाथ नहीं आ रहे थे। वह जानता था कि यदि उन तोतों को उसने किसी तरह से पकड़ लिया तो बेचने पर खूब दाम मिलेंगे इसलिए उसने एक नई तरकीब तैयार की।

शिकारी को पता था कि तोतों को चने की भीगी हुई दाल और लाल मिर्च बहुत पसंद होती हैं इसीलिए उसने तोतों के दाना चुगने की जगह पर एक दिन दाल और मिर्च बिखेरी और दीवार के पीछे छुप गया।

तोते जब दाना चुगने के लिए वहां आए तो भीगी हुई चने की दाल और लाल मिर्च पाकर बहुत खुश हुए। पहले तोते ने जल्दी से दाल और मिर्च खाना शुरू कर दिया। दूसरे ने चौकीदारी का काम संभाल लिया।

पहले तोते को दाल और मिर्चों का आनंद उठाते देख कर दूसरे के मुंह में पानी भर आया। वह अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख सका इसलिए चौकीदारी भूल कर दाल-मिर्च पर टूट पड़ा।

शिकारी इसी अवसर की तलाश में था। उसने वहीं खड़े-खड़े बड़ी फुर्ती के साथ अपना जाल उन पर फेंक दिया। वे दोनों जाल में फंस गए। घबरा कर यदि वे वहीं पड़े रहते तो शिकारी उन्हें पकड़ लेता परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। दोनों ने एक साथ मिल कर लड़ने के लिए जोर लगा दिया तो जाल हल्का होने के कारण उनके साथ ही ऊपर उठ गया। ऐसा देखकर वे जोश में आ गए और अपनी पूरी ताकत लगा दी। शिकारी जब तक दीवार के पीछे से निकल कर जाल को पकड़ पाता, वे तालाब वाले उसे पेड़ की तरफ उड़ चले जिस पर वे रहते थे।

शिकारी भी उनके पीछे-पीछे दौड़ने लगा। उसे आशा थी कि वे दोनों जल्दी थककर जाल समेत नीचे गिर जाएंगे। यदि नीचे नहीं भी गिरे तो पेड़ के पास पहुंच कर जाल को तो नीचे जरूर गिरा देंगे। ऐसे में कम से कम जाल तो उसको जरूर मिल जाएगा। तोतों ने सोचा कि शिकारी पीछे छूट गया है इसीलिए उड़ते-उड़ते पहले तोते ने दूसरे से कहा, ‘‘कितना लालची है रे तू दाल क्या कहीं भागी जा रही थी, थोड़ी देर बाद खा लेता। पकड़वा दिया था, तूने तो मुझे भी अपने साथ। वह तो जाल सहित उड़ने की मेरी सूझबूझ काम दे गई, नहीं तो हम दोनों अब तक शिकारी के पिंजरे में बंद होते।’’

‘‘लालची तो तू है, मैं नहीं। दाल और मिर्च के स्वाद में तू अपने दोस्त को भी भूल गया था। दाना चुगने की मेरी बारी आ चुकी थी लेकिन तू था कि गपड़-गपड़ खाए ही जा रहा था पहरा देने के लिए तुम्हें तैयार होना चाहिए था और अब दोष निकाल रहा है मुझ में। सुन, अपनी जिस सूझ-बूझ को लेकर तुम फूले नहीं समा रहे हो, वह तो तुम्हारी बकवास के सिवा कुछ भी नहीं है। यदि मैं जाल को साथ लेकर उडऩे के लिए अपनी पूरी ताकत नहीं लगाता तो तू इस वक्त शिकारी के पिंजरे में पड़ा होता।’’ दूसरे ने नाराज होते हुए पहले को लताड़ा।

इस तरह दोनों ने उड़ते-उड़ते ही आपस में झगड़ा आरंभ कर दिया।

‘‘अच्छा तो तू समझता है कि यह जाल सिर्फ तेरी ताकत के कारण उड़ रहा है?’’ पहले तोते ने क्रोध में भरकर ऊंची आवाज में कहा।

‘‘हां, हां, सिर्फ मेरी ताकत की वजह से ही जाल हमारे साथ है।’’ दूसरा भी जोर से चिल्लाया।

‘‘तो ठीक है, मैं अपनी ताकत लगाना बंद कर रहा हूं, देखता हूं तुम्हारी ताकत कहां तक इस जाल को उड़ा सकती है?’’ ऐसा कहते हुए पहले तोते ने पंख हिलाने बंद कर दिए।

पहले द्वारा ऐसा किया जाते ही जाल का पूरा बोझ दूसरे पर आ पड़ा। उसके पंख अपने आप हिलने बंद हो गए और वे दोनों अपनी मूर्खता के कारण जाल सहित धरती आ गिरे। पीछे दौड़े चले आ रहे शिकारी ने उन दोनों को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर लिया।

Niyati Bhandari

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