Inspirational Context: काले और गोरे में फर्क करने वाले अवश्य पढ़ें ये प्रसंग

Tuesday, Mar 05, 2024 - 10:51 AM (IST)

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Inspirational Context:  महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय रंगभेद के सख्त खिलाफ थे। उनके अनेक अनुयायियों में एक नवयुवक नंदकिशोर बसु को विवाह के लिए एक गोरी लड़की को दिखाया गया, पर धोखे से उनकी शादी एक सांवली लड़की से कर दी गई। नंदकिशोर बसु अपने साथ हुए इस धोखे के कारण परेशान और क्रोधित थे और अपने ससुर को सबक सिखाने के लिए दूसरा विवाह करना चाहते थे।

जब उन्होंने राममोहन राय से इस विषय पर सलाह मांगी तो उन्होंने पूछा कि सांवली होने के अलावा क्या तुम्हारी पत्नी में कोई और दोष है ? 

नंदकिशोर ने जवाब दिया, “नहीं, वह बहुत सुशील एवं मृदुभाषी है और मेरा पूरा-पूरा ध्यान रखती है, पर मैं अपने साथ हुए छल को भुला नहीं पाता हूं और उसके पिता से बदला लेना चाहता हूं।” 

राममोहन राय ने कहा, “पिता द्वारा किए गए अपराध के लिए  बेटी को सजा देना उचित नहीं है। फिर व्यक्ति का मूल्यांकन उसके रंग-रूप के आधार पर नहीं बल्कि गुणों के आधार पर किया जाना चाहिए।”

प्रकृति ने मनुष्य को दो ही रंग दिए हैं- गोरा और काला। अपने रंग के लिए कोई स्वयं जिम्मेदार नहीं। तुम्हारी स्त्री तन से सुंदर न सही पर मन से तो सुंदर है और मन की सुंदरता तन की सुंदरता से कहीं बड़ी होती है। तुम उसे छोड़ने और दूसरा विवाह करने का विचार त्याग दो और अपना जीवन इसी स्त्री के साथ खुशी-खुशी बिताओ।  

मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि अपने इस निर्णय पर तुम्हें जीवन में कभी पछताना नहीं पड़ेगा। नंद किशोर बसु की आंखें खुल गईं। राममोहन राय की बात सच निकली। बसु का वैवाहिक जीवन बेहद सुखमय बीता।

Prachi Sharma

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