कुछ इस तरह तय किया जा सकता है नर से नारायण बनने तक का सफर

Friday, Dec 16, 2022 - 11:37 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Context: हमारे ऋषि-मुनियों तथा धर्मशास्त्रों ने संकल्प को ऐसा अमोघ साधन बताया है जिसके बल पर हर क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था ‘दृढ़ संकल्पशील व्यक्ति के शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं होता। लक्ष्य की प्राप्ति में साधना का महत्वपूर्ण योगदान होता है। संकल्प जितना दृढ़ होगा, साधना उतनी ही गहरी और फलदायक होती जाएगी।’’



शास्त्रों में कहा गया है, ‘अमंत्रमक्षरं नास्ति-नास्ति मूलनौसधम्। अयोग्य: पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभ:।’


1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें


यानि ऐसा कोई अक्षर नहीं है, जो मंत्र न हो। ऐसी कोई वनस्पति नहीं जो औषधि नहीं हो। ऐसा कोई पुरुष नहीं है जो योग्य न हो। प्रत्येक शब्द में मंत्र विद्यमान है, उसे जागृत करने की कोई योग्यता होनी चाहिए। प्रत्येक वनस्पति में अमृत तुल्य रसायन विद्यमान है, उसे पहचानने का विवेक चाहिए। व्यक्ति में योग्यता स्वभावत: होती है किन्तु उस योग्यता का सदुपयोग करने का विवेक होना चाहिए।

साधन को लक्ष्य से जोड़ कर मानव अपनी योग्यता का उपयुक्त लाभ उठा सकता है। दृढ़ संकल्प और साधना के बल पर मानव नर से नारायण भी बन सकता है। प्रमाद, अहंकार, असीमित आकांक्षाएं मनुष्य को दानव बना सकती हैं और इस तरह वे उसके पतन का कारण हैं। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में सत्संग, सात्विकता, सरलता, संयम, सत्य जैसे दैवीय गुणों को जीवन में ढालकर निरंतर अभ्यास-साधना करते रहने का उपदेश दिया है। संयम का पालन करते हुए साधना में रत रहने वाला व्यक्ति निश्चय ही अपने सर्वांगीण विकास में सफल होता है। 

Niyati Bhandari

Advertising