Inspirational Context: भिक्षा में दी गई चीज आपके जीवन मेंं ला सकती है बड़ा बदलाव, जानें कैसे

Saturday, Nov 26, 2022 - 10:35 AM (IST)

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Inspirational story: समर्थ गुरु रामदास एक दिन भिक्षा के लिए एक गांव में गए। एक घर के सामने जाकर उन्होंने भिक्षा के लिए आवाज लगाई। उस घर की गृहिणी घर में चल रहे झगड़ों से परेशान थी। वह क्रोध से भरी हुई थीं और घर में पोंछा लगा रही थी।

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ऐसे समय में उसने आवाज सुनी तो गुस्से से बोली, ‘‘कोई भिक्षा नहीं है, जाओ आगे जाओ।’’ संत रामदास शांत भाव से खड़े रहे और थोड़ी देर बाद फिर से भिक्षा के लिए आवाज लगाई।

महिला गुस्से में तो थी ही, दोबारा आवाज सुनकर वह और अधिक गुस्से से भर गई। उसके हाथ में पोंछा लगाने वाला गीला कपड़ा था, उसे  लिए वह दरवाजे की ओर बढ़ी और चिल्लाते हुए वह कपड़ा स्वामी रामदास के  हाथ में फैंका और जोर से बोली, लो यह लो भिक्षा। 

रामदास स्वामी जान गए कि उसने क्रोध के कारण ऐसी भिक्षा दी है। भिक्षा का यह नियम है कि भिक्षा में जो भी दिया जाए उसे ले लेना चाहिए। अत: उन्होंने वह पोंछा ले लिया। उन्होंने महिला पर तनिक भी क्रोध नहीं किया, बल्कि उसके क्रोध को मिटाने का उपाय सोचने लगे। वह उस पोंछे को लेकर सीधे नदी पर आए। उस पोंछे को अच्छी तरह धोया, उसका सारा मैल निकाला तो कपड़ा निर्मल हो गया। अब उस निर्मल कपड़े से उन्होंने दीपक की बातियां बनाईं और प्रतिदिन एक-एक बाती वे जलाते रहे। इधर वह बाती जलती उधर उस महिला के मन का मैल नष्ट होता जाता। जब सारी की सारी बातियां जल गईं तो उस महिला का मन भी निर्मल हो गया।

अब उसे बहुत अधिक पश्चाताप हुआ कि मैंने गुस्से में आकर एक संन्यासी को भिक्षा में पोंछा दे दिया। अब मैं उनसे क्षमा मांगूगी। इस प्रकार भिक्षा में अखाद्य वस्तु देने पर भी समर्थ गुरु रामदास स्वामी की तपस्या से एक गृहिणी का मन निर्मल हो गया।

Niyati Bhandari

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