Inspirational Concept: प्रतिभा और आचरण से होता है व्यक्ति का मूल्यांकन

Monday, Jun 13, 2022 - 03:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ को एक महिला ने रात्रि भोज पर निमंत्रित किया। वैसे तो वह काफी व्यस्त रहते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने उस महिला का निमंत्रण स्वीकार कर लिया जिस दिन का निमंत्रण था, उस दिन जार्ज बर्नार्ड शॉ की व्यस्तता कुछ ज्यादा ही निकल आई। वह  जैसे-तैसे सारा काम निपटा कर वह महिला के घर पहुंचे। उन्हें देखते ही एक बार तो महिला प्रसन्न हो गई, लेकिन अगले ही क्षण वह मायूस भी हो गई।

दरअसल बर्नार्ड शॉ काम खत्म करके उन्हीं कपड़ों में वहां आ गए थे। महिला की मायूसी का कारण पता चलने पर उन्होंने कहा कि देर हो जाने की वजह से उन्हें कपड़े बदलने का समय नहीं मिला लेकिन महिला न मानी। उसने कहा, ‘‘आप अभी तुरन्त गाड़ी में बैठकर घर जाइए और अच्छे से वस्त्र पहनकर आइए।’’ 

‘‘ठीक है मैं अभी गया और अभी आया।’’ यह कह कर शॉ घर चले गए। जब लौटकर आए तो उन्होंने बहुत कीमती कपड़े पहने हुए थे। थोड़ी देर बाद अचानक सबने देखा कि शॉ खाने की चीजों को अपने कपड़ों पर पोत रहे हैं।

यह सब करते हुए शॉ बोल रहे हैं, ‘‘खाओ मेरे कपड़ो, खाओ। निमंत्रण तुम्हीं को मिला है। तुम ही खाओ।’’ 

‘‘यह आप क्या कर रहे हैं?’’ 

अचानक सब बोल पड़े। शॉ ने कहा, ‘‘मैं वही कर रहा हूं मित्रो, जो मुझे करना चाहिए। यहां निमंत्रण मुझे नहीं, मेरे कपड़ों को मिला है। इसलिए आज का खाना तो मेरे कपड़े ही खाएंगे।’’  

यह कहते ही पार्टी में सन्नाटा छा गया।

निमंत्रण देने वाली महिला की भी शर्मिंदगी की कोई सीमा नहीं रही। जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की बात का आश्य वह समझ चुकी थी कि व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी प्रतिभा और आचरण से किया जाना चाहिए, कपड़ों से नहीं।
 

Jyoti

Advertising