जाति से नहीं कर्म से होती है व्यक्ति की पहचान

Friday, Apr 05, 2019 - 02:17 PM (IST)

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एक दिन राजकुमार अभय कुमार को जंगल में नवजात शिशु मिला। वह राजकुमार उसे अपने घर ले आया और उसका नाम जीवक रख दिया। अभय कुमार ने बच्चे को खूब पढ़ाया-लिखाया। जब जीवक बड़ा हुआ तो उसने अभय कुमार से पूछा, ‘‘मेरे माता-पिता कौन हैं?’’

अभय कुमार ने जीवक से कुछ भी छिपाना ठीक न समझते हुए उसे सारी बात बता दी लेकिन यह सुनकर जीवक बोला, ‘‘मैं आत्महीनता का भार लेकर कहां जाऊं।’’

इस पर अभय कुमार ने कहा, ‘‘तुम विद्या अध्ययन करने तक्षशिला जाओ।’’ जीवक विद्या अध्ययन के लिए चल पड़ा। विद्यालय में प्रवेश करते समय वहां के आचार्य ने जीवक से पूछा, ‘‘बेटा! तुम्हारे माता-पिता का क्या नाम है, तुम्हारा कुल क्या है, तुम्हारा गोत्र क्या है?’’

इन सभी प्रश्नों के उत्तर जीवक ने बिना कुछ छिपाए सही-सही दे दिए। उसकी सच्चाई से प्रसन्न होकर आचार्य ने जीवक को विद्यालय में प्रवेश दे दिया। जीवक ने वहां कठोर परिश्रम करते हुए आयुर्वेदाचार्य की उपाधि ली।

उसके आचार्य चाहते थे कि जीवक मगध जाकर वहां लोगों का उपचार करे। जब यह बात जीवक को पता चली तो उसने आचार्य से कहा, ‘‘मैं जहां भी जाऊंगा, लोग मेरे माता-पिता और कुल-गोत्र के बारे में पूछेंगे। मैं यहीं रहना चाहता हूं।’’

लेकिन आचार्य बोले, ‘‘तुम्हारी प्रतिभा और ज्ञान ही तुम्हारा कुल और गोत्र है। तुम जहां भी जाओगे वहां तुम्हें सम्मान मिलेगा। तुम लोगों की सेवा करोगे, इसी से तुम्हारी पहचान बनेगी क्योंकि कर्म से ही मनुष्य की पहचान होती है, कुल और गोत्र से नहीं।’’

इस तरह जीवक का आत्मविश्वास फिर से जाग गया और वह मेहनत व निष्ठा से लोगों की सेवा करते हुए आयुर्वेदाचार्य के रूप में पूरे मगध राज्य में प्रसिद्ध हो गया।
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Jyoti

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