बृहस्पति से जुड़ी ये रोचक जानकारी क्या जानते हैं आप

Thursday, Jan 10, 2019 - 10:47 AM (IST)

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सभी ग्रह पिंडों में सबसे अधिक भारी और बड़े ग्रह को बृहस्पति के नाम से जाना जाता है। सूर्य को छोड़कर यह सभी ग्रहों से बड़ा है। यह सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगाता है। यह पूर्व में उदय और पश्चिम में अस्त होता है। ज्योतिष के अनुसार ये ग्रहों में अधिक बलशाली एवं शुभ माना जाता है। इन्हें देवों के गुरु के रुप में जाना जाता है। कुंडली में इनकी कृपा से सम्पत्ति, संतान एवं ज्ञान हासिल होता है। यह न्याय, धर्म एवं नीति का प्रतीक हैं।  इनका दिन बृहस्पति (गुरुवार) है तथा भाग्यांक 3 है।


बृहस्पति ग्रह को अंकशास्त्र में सूर्य और चंद्रमा के उपरांत दूसरा स्थान दिया गया है। चूंकि सूर्य आत्मा का कारक, चंद्रमा मन का कारक और बृहस्पति फिजिकल फिटनेस और ज्ञान का कारक है। बृहस्पति से धन, लक्ष्मी, न्याय, संतान, पुत्र, धर्म-कर्म के अतिरिक्त लोक और परलोक सुख तथा अध्यात्म विज्ञान और शिक्षा का विचार किया जाता है।


यह ग्रह चरित्र, बुद्धि, स्वास्थ्य एवं आयु का भी कारक है। स्वर्ण, कांस्य धातु, दाल-चना, गेहूं, जौ, घी, पीले वस्त्र, फल-फूल तथा मीठे और रसीले पदार्थों के अधिपति बृहस्पति हैं। इसके अतिरिक्त आचार्य, धर्म ग्रंथ, अश्व तथा हल्दी, धनिया, लहसुन, प्याज तथा मोम का अधिपति भी बृहस्पति है। स्त्रियों के लिए पति एवं संतान सुख का परम कारक ग्रह बृहस्पति ही होता है।


जन्म कुंडली में विभिन्न स्थितियों के अनुसार बृहस्पति व्यक्ति को नीतिज्ञ, क्षमा-दान, सुखी, संतानवान, दानी, शांत और दो प्रकार के व्यवसाय से लाभ देने वाला बनाता है। अशुभ बृहस्पति से नाक, कान, गले और नजले से संबंधित रोग तथा सूजन, चर्बी संबंदित रोग तथा मोटापे की शिकायत रहती है।


अगर अंक 3 का प्रभाव शुभ हो तो व्यक्ति चतुर, समझदार, खुश रहने वाला, लेखक, अध्यापक, वकील, साहित्य तथा ज्योतिष प्रेमी, संपादक, सलाहकार, मंत्री, राजपुरोहित आदि बनता है। कमजोर बृहस्पति से व्यक्ति मंदबुद्धि, चिंता में रहने वाला, गृहस्थ जीवन में दुखी, संतानहीन और अस्वस्थ बनता है। इसके कुप्रभाव को रोकने के लिए पुखराज धारण करना हितकर होता है।

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Niyati Bhandari

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