जानें, क्या है पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का महत्व?

Monday, Sep 23, 2019 - 02:13 PM (IST)

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इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि हर माह में दो एकादशी तिथि आती है। पहली शुक्ल व दूसरी कृष्ण पक्ष की और हर इंसान को दोनों पक्षों की एकादशी का पालन करना चाहिए। कहते हैं कि भगवान श्री हरि को एकादशी बहुत अधिक प्रिय है। ऐसे में उनकी कृपा को पाने के लिए एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना गया है। वैसे तो हर एकादशी अपने आप में एक अलग ही महत्व रखती है। लेकिन आज हम बात करेंगे पितृ पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी के बारे में।

ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध में पड़ने वाली इस एकादशी की मान्यता व महत्वता ओर भी अधिक बढ़ जाती है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई पूर्वज जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों के कारण दंड भोग रहा होता है तो इस दिन विधि-विधान से व्रत कर उनके नाम से दान-दक्षिणा देने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार से एकादशी 25 सितंबर दिन बुधवार को पड़ रही है। 

इंदिरा एकादशी महत्व
पद्म पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए तो नरक में गए पितृगण भी वहां से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से सभी जीवत्माओं को उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना भी नहीं करना पड़ता।

कैसे करें व्रत
कहते हैं कि इस दिन जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पहले शालीग्राम की पूजा करें, इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और उनकी आरती उतारें।

इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, फलाहार लेकर व्रत रख सकते हैं। 

इस दिन क्रोध, निंदा, झूठ एवं दिन में सोने से बचना चाहिए। जितना हो सके 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ' का जप करें एवं विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें। 

तुलसी एवं पीपल के पौधे लगाएं एवं एक योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।

Lata

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