हिंदू धर्म में क्या है केसरी रंग की IMPORTANCE ?

Tuesday, May 28, 2019 - 05:05 PM (IST)

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अक्सर देखा जाता है हिंदू धर्म में जब भी कोई अपने घर आदि में किसी प्रकारा का धार्मिक आयोजन करवाता है तो ज्योतिषीयों द्वारा भगवा रंग यानि केसरी रंग पहनने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आख़िर ऐसा क्यों है, क्यों हिंदू धर्म में इस रंग को इतनी अहम भूमिका मिली है। तो अगर आपके लिए भी आज तक ये सवाल बना हुआ है तो चलिए हम आज आपको आपके इसके बारे में कुछ ऐसा बताएंगे जिससे आपके द़िमाग में चल रहे इनसे जुड़े सभी सवाल खत्म हो जाएंगे।

तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें-  
केसरी रंग को हिन्दू धर्म में शुभ क्यों कहा जाता है। किसी भी तरह के धार्मिक कार्यों में सबसे पहले केसरी रंग का ही चुनाव किया जाता है। यहां तक कि साधु-संन्यासी भी केसरियां रंग को ही प्राथमिकता देते हैं। दरअसल, हिन्दू धर्म में माना जाता है कि केसरी रंग अग्नि के रंग के समान है। कहा जाता है कि अग्नि जीवन से अज्ञान रूपी अंधेरे के साथ-साथ ये हमारे जीवन की हर बुराई को दूर करती है। साथ ही जीवन में से नकारात्मक सोच को दूर करके सकारात्मक विचार का संचार करती है। यही कारण है कि अग्नि समान केसरी रंग धारण करने से हर तरह से सकारात्मकता मिलती है।

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सबसे पवित्र है अग्नि-
कहा जाता है जिस तरह अग्नि में मिलकर सबकुछ पावन हो जाता है, ठीक उसी प्रकार केसरी रंग भी पवित्रता का प्रतीक होता है। हिंदू धर्म में कहा जाता है जो भी केसरी रंग धारण करता है उसके विचार इसी रंग की तरह पावन हो जाते हैं। यही कारण है कि साधु-संन्यासी केसरी रंग धारण करते हैं ताकि वे खुद को पवित्र रखकर मोक्ष की ओर बढ़ सकें। अगर प्राचीन काल की दृष्टि डाली जाए तो पता चलता है कि ऋषि-मुनि अपने साथ अग्नि को लेकर चलते थे। उनका मानना था कि इससे यानि अग्नि से उन्हें मोक्ष मिलेग, साथ ही वे सत्य के मार्ग की पर चल सकेंगे। मगर अब हर समय अग्नि को साथ लेकर चलना संभव नहीं था इसलिए ऋषि-मुनि केसरी रंग के ध्वज को अपने साथ रखने लगे। कहते हैं तब से लेकर आज तक केसरी रंग को साथ रखने और केसरी रंग के वस्त्र धारण करने की परंपरा चली आ रही है।

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Jyoti

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