OMG! प्राचीन समय में ऐसे होती थी शादियां

Friday, Feb 08, 2019 - 10:05 AM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार विवाह को बहुत जरूरी माना गया है। अगर हम हिंदू धर्म के 16 संस्कारों की बात करें तो विवाह उनमें से एक है जो महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। मनुस्मृति के अनुसार विवाह के 8 प्रकार बताए गए यानि कि प्राचीन समय में 8 तरह से विवाह होता था। आज हम आपको उन 8 प्रकार की शादियों के बारे में बताएंगे जिनमें से असुर, राक्षस व पैशाच विवाह को सही नहीं माना जाता था। तो चलिए जानते इनके बारे में- 

ब्रह्म विवाहः जो शादी लड़का व लड़की के परिवार की सहमति से हो वो विवाह ब्रह्म विवाह कहलाता है। जिसे आज के समय में अरेंज मैरिज कहा जाता है। ये शादी परिवार वालों की मर्जी के साथ-साथ लड़का-लड़की की इच्छा से होती है।

देव विवाहः जिस शादी में विशेषतः धार्मिक अनुष्ठान के मूल्य के रूप में अपनी कन्या को दान में दे देना ही देव विवाह कहलाता है।

आर्श विवाहः जिस लड़की की शादी में गौदान यानि गाय का दान करके विवाह हो उसे आर्श विवाह कहा जाता है। प्राचीन समय में पहले ब्राह्मण परिवारों में इस तरह शादी की जाती थी।

प्रजापत्य विवाहः किसी लड़की से बिना पूछे उसका विवाह किसी संपन्न परिवार के वर से कर देना प्रजापत्य विवाह कहलाता है। इसमें केवल लड़की के परिवार वालों की इच्छा होती है। 

गंधर्व विवाहः बिना अपने परिवार वालों की सहमति के बिना किया गया विवाह गंधर्व विवाह कहलाता है। जिसे आज के समय में लव मैरिज कहा जाता है। इस तरह की शादी लड़का-लड़की भाग कर करते हैं या किसी को बिना बताए ही कर लेते हैं।

असुर विवाहः लड़की को खरीदकर कि गई शादी यानि पैसे, जमीन, गहने देकर विवाह करना असुर विवाह कहलाता है। 

राक्षस विवाहः जो विवाह लड़की की सहमति के बिना उसका अपरहण करके जबरदस्ती हो उसे राक्षस विवाह कहा जाता है।

पैशाच विवाहः लड़की की बेहोशी या लाचारी की अवस्था में संबंध बनाना और बाद में उससे विवाह करना पैशाच विवाह कहलाता है।
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