अगर नहीं मानते ये तीन बातें तो आपको भी जाना पड़ सकता है नरक

Wednesday, Jan 16, 2019 - 03:47 PM (IST)

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लाइफ में चाहे कैसी भी मुश्किल आए लेकिन हमें भगवान पर हमेशा विश्वास बनाए रखना चाहिए। कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि भगवान ने हमारे साथ ही ऐसा क्यों किया। ऐसा कभी नहीं होता कि भगवान अपने किसी भी भक्त को कष्ट दें और वैसा भी ऐसा कहा जाता है कि हर दुख के बाद सुख अवश्य आता है। तो हमें उस सुख का इंतजार करना चाहिए और जीवन के हर पल के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करते रहना चाहिए। अगर आपका विश्वास डगमगा जाता है तो ऐसा माना जाएगा कि आपकी भक्ति और ईश्वर के प्रति आपका प्रेम कमजोर था। आज हम आपको आपके विश्वास को ओर भी पक्का करने के लिए कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं-

ईश्वर विश्वास के कल्पवृक्ष पर तीन फल लगे बताए गए हैं- सिद्धि, स्वर्ग, मुक्ति। 

ऐसा माना जाता है कि चिरस्थाई और प्रशासनीय सफलताएं गुण, कर्म, स्वभाव की उत्कृष्टता के फलस्वरूप ही उपलब्ध होती हैं। मनुष्य को दुष्प्रवृत्तियों से विरत करने और सत्प्रवृत्तियों को अपनाने के लिए उत्कृष्ट चिन्तन और आदर्श कर्तृत्व अपनाना पड़ता है। अध्यात्मवादी आस्तिक व्यक्ति चमत्कारी सिद्धियों से भरे-पूरे हैं। इस मान्यता को उपरोक्त आधार पर अक्षरशः सही ठहराया जा सकता है। किन्तु यदि सिद्धि का मतलब बाजीगरी जैसी अचंभे में डालने वाली करामातें समझा जाय तो यही कहा जायगा कि वैसा दिखाने वाले धूर्त और देखने के लिए लालायित व्यत्ति मूर्ख के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं।

आस्तिकता के कल्पवृक्ष पर लगने वाला दूसरा फल है-स्वर्ग। स्वर्ग का अर्थ है-परिष्कृत गुणग्राही विधायक दृष्टिकोण। शरीर यात्रा के अनिवार्य साधन प्रायः हर किसी को मिले होते हैं। अभाव, तृष्णाओं की तुलना में उपलब्धियों को कम आंकने के कारण ही प्रतीत होता है। 

आस्तिकता का तीसरा प्रतिफल है मुक्ति यानि भव-बंधनों से छूटना। काम, क्रोध लोभ, मोह मद, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, छल, चिन्ता, भय, दैन्य जैसे मनोविकार ही व्यक्तित्व को गिराते-गलाते, जलाते रहते हैं। इन सबसे छुटकारा पाने के लिए हमें भगवान की शरण में जाना ही पड़ता है और वो जैसे भी करें हमें उस पर भरोसा करना ही पड़ता है।
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Lata

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