कार्तिक मास में क्यों बढ़ जाती है तुलसी पूजन की महिमा ?

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 09:52 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का आरंभ हो चुका है। इस दौरान बहुत से त्योहारों की शरुआत भी हो जाती है। कार्तिक का महीना बड़ा ही पवित्र व भगवान विष्णु का प्रिय माह होता है। कहते हैं कि इस दौरान की गई भक्ति से व्यक्ति के सार पाप दूर हो जाते हैं। इस महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अगर किसी नदी में स्नान किया जाए तो वे बड़ा फलदायी होता है। इसके साथ ही इस महीने से दीप-दान भी किया जाता है, जोकि भगवान विष्णुव तुलसी जी के समक्ष करना अति आवश्यक होता है। 
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तुलसी पूजन
पुराणों के अनुसार इस मास में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में निवास करते है। इसलिए सूर्यादय से पहले स्नान करने से पुण्य की प्राप्त होती है। इसके साथ ही कार्तिक महीने में तुलसी पूजन का महत्व पहले से अधिक बढ़ जाता है। कहते हैं कि तुलसी पत्र से श्री विष्णु की पूजा करने से वे बहुत ही प्रसन्न होते हैं। पूरे कार्तिक माह जो तुलसी जी के आगे दीप दान करता है, उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग और दुःख दूर होते हैं, बल्कि अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। बता दें कि इस महीने में वृंदा देवी का विवाह यानि तुलसी का विवाह किया जाता है। कहते हैं कि कार्तिक में सुबह उठकर तुलसी दल का सेवन भी बड़ा ही लाभकारी होता है, इससे हमारा इम्यून सिस्टम अच्छा होता है और लिहाजा हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। लेकिन ध्यान रहे कि तुलसी की पत्ती को चबाया नहीं जाता। उसे पानी के साथ निगलना चाहिए।
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स्नान का महत्व
कार्तिक का महीना स्नान और दान-पुण्य के लिए विशेष महत्व रखता है। इस महीने में पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। विष्णुधर्मसूत्र, कृत्यकल्पतरू, हेमाद्रि, पद्मपुराण, निर्णयसिन्धु और गरूड़ पुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास में घर से बाहर किसी पवित्र नदी में स्नान, गायत्री जप एवं दिन में केवल एक बार भोजन करके व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं और उसकी तरक्की होती है। कहते हैं कि इस माह में दामोदर अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है। 

 


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