मानो या न मानो: राम नाम सत्य है...

Monday, Feb 21, 2022 - 11:22 AM (IST)

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Religious Katha: एक महात्मा प्रतिदिन एक स्थान पर सत्संग करने जाते थे। वापस लौटते हुए रास्ते में एक वणिक की दुकान पड़ती थी। दुकान पर एक तोता पिंजरे में लटका रहता था। महात्मा को देख कर प्रतिदिन तोता प्रश्र करता-‘‘महाराज, राम नाम सत्य है, इसका क्या भाव है?’’
 

संत कहते, ‘‘प्रभु राम का जो नाम है वह सर्वथा सत्य है।’’

तोता कहता, ‘‘सत्य बोले गति है, इसका क्या तात्पर्य है?’’

संत कहते, ‘‘जो इस नाम का उच्चारण करता है, उसकी गति अर्थात मुक्ति होती है वह स्वतंत्र हो जाता है।’’

तोता, ‘‘महाराज! मेरे को तो राम नाम सत्य है, सत्य बोले गति है, उच्चारण करते-करते कितना समय हो गया है परन्तु मेरी तो इस पिंजरे से भी मुक्ति नहीं हुई। भवसागर से कैसे होगी?’’

संत, ‘‘शुक, तूने केवल उच्चारण ही किया है, उस पर अमल नहीं किया। यदि मोक्ष चाहता है तो कल एकादशी का दिन है, व्रत धारण करना और साथ ही मौन भी धारण करना।’’

दूसरा दिन आया। जैसे महात्मा ने बताया था, तोते ने वैसा ही किया। एकादशी का व्रत रखा, श्वास चढ़ा कर पिंजरे में लेट गया। वणिक प्रतिदिन की भांति दुकान पर आया। आते ही तोते को बुलाया। कहो, गंगाराम! राम! राम! पर गंगाराम तो आज मौनी साधक था। वणिक ने समझा, तोता मर गया है। उसने पिंजरे का कपाट खोला, तोते को पूंछ से पकड़ा और बाहर फैंक दिया। सब लोग एक ओर हुए तो तोता उठा और उठ कर वणिक की दुकान के सामने वाले वृक्ष पर जा बैठा और ऊंचे स्वर से बोलने लगा-राम का नाम सत्य है, सत्य बोलने से गति अर्थात मोक्ष मिलता है परन्तु मोक्ष का मार्ग संत के हाथ में है।
 

Niyati Bhandari

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