Ayodhya Ram Mandir Bhoomi Pujan: हिंदू धर्म में क्या है भूमि पूजन का महत्व?

Tuesday, Aug 04, 2020 - 01:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
05 अगस्त का इंतज़ार हर भारतवासी को था, जो अब खत्म हो चुका है और वो शुभ घड़ी आने वाले ही जब अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। बता दें भूमि पूजन का इस कार्यक्रम की शुरूआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाएगी। अयोध्या को पिछले कई दिनों से इस कार्यक्रम को लिए अच्छे से सजाया जा रहा है। भारत वासियों के लिए ये दिन कितना खास हैं, इसका प्रमाण अयोध्या में चल रही तैयारियां हैं। अपनी वेबसाइट के माध्यम मे हम आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारी देते  आ रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने वाले हैं कि आख़िर हिंदू धर्म में भूमि पूजन का क्या महत्व है? क्यों किसी भी प्रकार की इमारत या धार्मिक स्थल का निर्माण करने से पहले भूमि पूजन करना अति आवश्यक होता? इसे करने की सही विधि क्या होती है?

तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं हिंदू धर्म में भूमि पूजन का महत्व- 
सबसे पहले आपको बता दें अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त केवल 32 सैंकेड का है। ये मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट 08 सैकेंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सैकेंड तक के बीच है। ज्योतिषियों के अनुसार षोडश वरदानुसार 15 वरद में ग्रह स्थितियों का संचरण शुभ और अनुकूलता प्रदान करने वाला माना जा रहा है। 

हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोगों को शायद पता होगा कि शास्त्रों में धरती व भूमि को माता का दर्जा दिया गया है। यही कहा जाता है जब भी इस मातृभूमि के ऊपर किसी भी तरह की इमारत का निर्माण कार्य शुरू करवाना होता है तो सबसे पहले उस जगह पर भूमि पूजन किया जाता है।

दरअसल कहा जाता है इसके पीछे का कारण ये होता है कि अगर धरती के उस हिस्से पर किसी भी प्रकार का दोष है जहां घर  या अन्य कोई ईमारत बनवाने वाले हैं, तो वो दोष खत्म हो जाए ताकि आगे चलकर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। 

अगला प्रश्न आता है कि इस करने की विधि क्या है, आइए आपको आप के लिए इस प्रश्न का उत्तर भी दे देते हैं- 

भूमि पूजन विधि- 
इस बा का ख्याल रखना आवश्यक होता है कि जहां पर यानि जिस स्थान पर भूमि पूजन करें वो जगह बिल्कुल साफ-सुथरा हो। उस जगह को शुद्ध किए कभी भूमि पूजन न करें। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भूमि पूजन मंत्र उच्चारण के साथ संपन्न किया जाता है, जिसके लिए ज्योतिष विद्वान या पंडित की आवश्यकता होती है। 

वास्तु और ज्योतिष दोनों ही विद्वानों के अनुसार भूमि पूजन करते समय ब्राह्माण को उत्तर मुखी होकर पालती मारकर बैठना चाहिए। तो वहीं जिसे भूमि पूजन में अपना योगदान देना हो उसके पूर्व की ओर मुख कर बैठना चाहिए। 


ध्यान रखें अगर जातक विवाहित है तो अपने बांई तरफ अपनी अर्धांगनी को ज़रूर बिठाएं।  

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले मंत्रोच्चारण से शरीर, स्थान एवं आसन की शुद्धि की जाती है। उसके बाद सर्व प्रथम देवता गणपति जी की पूजा की जाती है तथा फिर चांदी के नाग व कलश की पूजा की जाती है।

भूमि पूजन में किस सामग्री की होती आवाश्यकता
ज्योतिश विद्वान बताते हैं इस दौरान गंगाजल, आम तथा पान वृक्ष के पत्ते, फूल, रोली एवं चावल, कलावा, लाल सूती कपड़ा, कपूर, देशी घी, कलश, कई तरह के फल, दुर्बा घास, नाग-नागिन जौड़ा, लौंग-इलायची, सुपारी, धूप-अगरबत्ती, सिक्के, हल्दी पाउडर आदि की आवश्यकता होती है। 

 

Jyoti

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