जब होली के दिन महर्षि वशिष्ठ ने मांगा सबके लिए अभयदान

Wednesday, Mar 20, 2019 - 06:21 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जब भी होली या होलिका दहन की बात होती है तो सभी को प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कहानी याद आती है। तो वहीं कुछ को श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ा वो किस्सा याद आता है जिसके अनुसार जब पूतना के ज़हरीले दूध को ग्रह्ण करने की वजह से श्रीकृष्ण का रंग गहरा नीला हो गया था। तब बड़े होने के बाद वे खुद को सबसे अलग महसूस करने लगे। उन्हें लगने लगा कि उनके ऐसे रंग की वजह से राधा और बाकी की गोपियां उन्हें पसंद नहीं करेंगी।

अपने पुत्र की इस परेशानी को देखकर माता यशोदा ने उन्हें कहा था कि जाओ कान्हा तुम राधा को अपनी मनपसंद के रंग से रंग दो। जिसके बाद उन्होंने राधा पर रंग डाल दिया था। माना जाता है कि इसके बाद श्रीकृष्ण और राधा अलौकिक प्रेम में तो डूबे ही बल्कि रंग के त्योहार होली को उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा।

परंतु हम होली से जुड़ी जिस कहानी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसमें महर्षि वशिष्ठ की अहम भूमिका रही है। तो चलिए देर न करते हुए विस्तार से  जानते हैं इस कथा के बारे में-किंवदंतियों के अनुसार होली के दिन महर्षि वशिष्ठ ने सब मनुष्यों के लिए अभयदान मांगा था  ताकि मनुष्य शंका रहित होकर इस पावन दिन आपस में हंस-खेल सकें और परिहास-मनोविनोद कर सकें। होली का त्योहार कब शुरू हुआ, इस बारे में विभिन्न मत हैं। मुख्य कथा, तो होलिका द्वारा प्रह्लाद को जलाने का प्रयत्न करने से जुड़ी है।

तो वहीं भविष्यपुराण में किए वर्णन के अनुसार ढूंढला नामक राक्षसी ने तप करके शिव-पार्वती से वरदान मांगा कि वह सुर-असुर, नर-नाग किसी से भी न मारी जाऊं और जिस बालक को खाना चाहे उसे खा सके। परंतु कहा जाता है कि भगवान शंकर ने वरदान देते समय ये शर्त रखी कि होली के दिन यह वरदान फलीभूत नहीं होगा।
यहां मिलेगी होली से जुड़ी हर जानकारी (VIDEO)

Jyoti

Advertising