यदि आपका जन्म 17 सितम्बर से 16 अक्तूबर के बीच हुआ है

Friday, Sep 22, 2017 - 11:36 AM (IST)

कन्या का सूर्य प्राय: 17 सितम्बर से 16 अक्तूबर तक रहता है। पंजाब और बंगाल में प्राय: 1 आश्विन से 30 आश्विन तक जो देसी तारीखें प्रयुक्त होती हैं उनमें से किसी दिन यदि जन्म हो तो यह विवरण विशेष मिलेगा। इस समय जो जातक पैदा होते हैं, वे स्वयं अपनी योग्यता से उच्च पदों पर पहुंचते हैं। इनकी प्रकृति में न्यायप्रियता तथा दयाशीलता रहती है और यह प्रत्येक कार्य पर ठंडे दिमाग से विचार करते हैं। इसका अधिष्ठाता बुध है। इस कारण बुध के अच्छे गुण, विचारशीलता, बुद्धिमता आदि इन जातकों में विशेष मात्रा में पाए जाते हैं परंतु जैसा इस राशि का नाम है अर्थात कन्या, उस राशि के अनुरूप गुण अर्थात नम्रता तथा लज्जा का स्वभाव भी बहुत अधिक प्रभाव रखता है। 


शिक्षा की उन्नति तथा समाज में विशेष संपर्क में आने से अधिक अवस्था में लजीलेपन में कमी आ जाती है, परंतु यह उनका प्राकृतिक गुण है। इन जातकों को सहसा क्रोध नहीं आता परंतु क्रोधित होने पर शांत भी बहुत समय बाद होते हैं। अच्छा यह है कि इनके क्रोध से किसी को हानि नहीं होती और इनको अनुचित क्रोध पर पश्चाताप भी होता है। 


ऐसे व्यक्ति प्राय: कला प्रेमी होते हैं और चित्र तथा कलाओं में विशेष प्रेम होता है। इन्हें अपनी पसंद की छोटी-छोटी चीजों के संग्रह में विशेष रुचि होती है। अधिक शिक्षित लोगों में दार्शनिक और वैज्ञानिक अध्ययन में रुचि तथा तत्परता पाई जाती है। बचपन में शारीरिक चोट लगने का विशेष अंदेशा होता है। प्रारंभिक जीवन में आर्थिक सफलता भी नहीं मिलती, बहुत परिश्रम और व्यक्तिगत योग्यता के कारण जो द्रव्य या उच्च पद प्राप्त करते हैं, उसकी सहसा हानि की संभावना रहती है।


यात्राएं भाग्योदय में सहायक होती हैं। संबंधियों से कोई विशेष सहायता की अपेक्षा नहीं होती। भाई-बहन बहुत से होंगे, परंतु उनसे सुख नहीं होगा। वैवाहिक जीवन में भी अन्य प्रेमों के कारण बाधा की संभावना है। ऐसे जातकों को चाहिए कि अपनी संतान की रक्षा में विशेष प्रयत्नशील हों क्योंकि इन (संतानों) का ऊंची जगह से गिरकर या डूबने से या चौपायों द्वारा हानि की संभावना रहती है। 


इन जातकों के प्रेम-संबंध में बहुत बाधाएं होती हैं और इन बातों को लेकर संबंधी तथा मित्रों में या पति-पत्नी के बीच झगड़े हो जाते हैं। ये व्यक्ति धार्मिक विचार के होते हैं। संभवत: ऐसा मनुष्य दूसरी शादी करे। दूसरे विवाह से इसके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ जाएगा। विरासत में कोई विशेष सम्पत्ति नहीं प्राप्त होगी और जो मिलेगा भी वह मुकद्दमेबाजी के बाद। यात्राएं विशेष करनी होंगी और शायद विदेश भी जाना पड़े। इन यात्राओं का संबंध या तो अपने धनोपार्जन से होगा या किसी उच्च-पदाधिकारी की आज्ञा से। ऐसे व्यक्ति बहुत परिश्रम के बाद धन-उपार्जन करते हैं और जिस कार्य को करते हैं उसमें शारीरिक भय की भी संभावना रहती है। मित्र थोड़े होते हैं और उनसे किसी विशेष लाभ की संभावना नहीं होती। कला जगत तथा व्यापारिक जगत के कुछ लोग ऐसे जातक से शत्रुता का भाव रखेंगे और नुक्सान के कामों में रुपया लगवा कर आर्थिक क्षति करवाएंगे। पेट, जिगर तथा पैरों की विशेष रक्षा करनी चाहिए।


पाश्चात्य ज्योतिषियों के अनुसार ऐसे पुरुष अन्य स्त्रियों को तथा इस समय पैदा होने वाली स्त्रियां अन्य पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करने का विशेष गुण रखती हैं और इनके स्वभाव में स्थिरता नहीं होती। पेट की खराबी या स्नायु जाल की कमजोरी के कारण इन्हें रोग होते हैं।


‘वराहमिहिर’ के मतानुसार जिनका जन्म इस समय होता है उन पुरुषों का शरीर स्त्री के शरीर की भांति कोमल व स्निग्ध होता है और ऐसे व्यक्ति चित्रकारी, काव्य तथा गणित में विशेष चतुर होते हैं।


‘सारावली’ के मतानुसार ऐसे व्यक्ति लज्जालु, मेधावी, गाने-बजाने में निपुण, मृदु तथा दीन वचन बोलने वाले होते हैं। बहुत बार स्थिर नक्षत्रों से संयोगवश, एक राशि के अंतर्गत सूर्य चार के फलादेश में बहुत भिन्नता हो जाती है, परंतु ऊपर सामान्य फल दिया गया है। अंग्रेजी ज्योतिष के अनुसार बुधवार, 5 की संख्या तथा अंगूरी या काफरी रंग इन्हें शुभ होता है।


 

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