कोरोना से बचना है तो आज से शुरू कर दें ये काम

Sunday, Jun 21, 2020 - 03:52 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
योग को प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है। हाल ही में बिहेवियरल मैडिसिन पत्रिका में छपे एक शोध के अनुसार योग आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और शरीर में जलन को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। योग के निरंतर अभ्यास से तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन्स में प्रभावशाली रूप से कमी आती है, तंत्रिका तंत्र मजबूत बनता है और यह लसिका प्रणाली (लिमफैटिक सिस्टम )को क्रियाशील करता है। साथ ही साथ यह शरीर से विषैले तत्वों को भी बाहर निकालता है। प्रतिदिन किए जाने वाले कुछ योगाभ्यास ङ्क्षचता कम और मन को शांत करते हैं जिसके चलते नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है। एक अच्छी नींद रोग निवारक है और एक स्वस्थ प्रतिरोधक तंत्र को बनाए रखने में बहुत बड़ा योगदान देती है।

इन आसनों से बचेंगे कोरोना से
यहां कुछ योगाभ्यास दिए गए हैं जो आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। ‘श्री श्री योग प्रोटोकॉल’ में आसन, प्राणायाम और ध्यान शामिल हैं। इस प्रोटोकॉल में दिए गए आसनों को इन श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जैसे उलटना-पलटना,अंगों को मोडऩा और छाती को फैलाना। उलटने-पलटने वाला कोई भी आसन रक्त प्रवाह में सुधार करता है और लसिका प्रणाली की कार्यकारिणी को बेहतर बनाता है जिसमें शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं जिसके चलते प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है। 

लसिका तंत्र का सबसे पहला कार्य लसिका को पूरे शरीर में प्रवाहित करना है। यह एक प्रकार का द्रव्य होता है जिसमें संक्रमण से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं। उलटने-पलटने वाले आसन विशेष रूप से हमारी नाडिय़ों और फेफड़ों में कफ के जमाव को हटाते हैं और उनमें संक्रमण की सम्भावना को कम कर देते हैं। मस्तिष्क में हुए रक्त प्रवाह में सुधार के कारण मन में विश्राम और शांति की भावना स्वत: उत्पन्न हो जाती है जो इन अभ्यासों को करने से होता है। हालांकि उच्च रक्तचाप वाले लोगों को उलटने-पलटने वाले आसन करने से बचना चाहिए और उन्हें इनका अभ्यास एक विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए। 

आसन जैसे - हस्त पदासन या अद्र्ध उत्थान आसन ( खड़े होकर आगे की ओर झुकना), अधोमुखश्वान आसन ( नीचे झुके हुए कुत्ते की मुद्रा), सर्वांगासन (कंधों पर खड़े होना) या विपरीत करणी (टांगों को उठाना) पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद करेंगे।

पाचन तंत्र की भूमिका
पाचन तंत्र की हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। आयुर्वेद के अनुसार खराब पाचन और पाचन नली का ठीक प्रकार से ध्यान न रखने से आंव और कफ बनता है जो अंतत: मन को प्रभावित करता है और फेफड़ों में भी कफ को जमा देता है। कुछ अभ्यासों में पेट को दबाने वाले और शरीर को मोडऩे वाले आसनों को शामिल करने से हम अपने पेट, आंतों, गुर्दों और अन्य आंतरिक अंगों में रक्त के संचार को बढ़ा सकते हैं ताकि पाचन बेहतर तरीके से हो और वहां मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाएं। वक्रासन या अद्र्ध मत्स्येंद्र आसन (बैठकर रीढ़ की हड्डी को घुमाना),नटराज आसन (लेटकर रीढ़ की हड्डी को घुमाना), शिशु आसन, पवन मुक्तासन और पश्चिमोत्तासन (बैठकर आगे झुकना) आपको स्वास्थ्यलाभ प्रदान करेंगे।

जो आसन छाती फैलाने में मदद करते हैं वे थोरेसिक कैविटी और फेफड़ों में रक्त के संचार को बढ़ाने में मदद करते हैं, वे बहुत लाभकारी हैं। आसन जैसे मत्स्यासन, भुजंगासन, धनुरासन, अद्र्ध चक्रासन (खड़े होकर पीछे की ओर मुडऩा) छाती को फैलाने वाले आसन हैं और इन्हें अपने दैनिक योगाभ्यास में शामिल किया जा सकता है।



नोट : निरंतर योगाभ्यास से बेहतर स्वास्थ्य लाभ होता है लेकिन जान लीजिए कि यह चिकित्सीय उपचार का विकल्प नहीं है। आपका कोई इलाज चल रहा है तो डॉक्टर की सलाह और प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में अभ्यास करें।
—कमलेश बरवाल 

Jyoti

Advertising