अपना कर्तव्य समझकर करेंगे हर काम तो कभी नहीं होंगे फेल
Saturday, Sep 21, 2019 - 09:49 AM (IST)
शास्त्रों की बात, धर्म के साथ
एक राजा था। उसके राज्य में अकाल पड़ गया। इस कारण उसे लगान नहीं मिल पाया। राजा को यही चिंता लगी रहती कि खर्चा कैसे घटाया जाए ताकि काम चल सके और भविष्य में फिर अकाल न पड़ जाए। उसे पड़ोसी राजाओं का भी डर रहने लगा कि कहीं हमला न कर दें।
राजा को चिंता के कारण नींद नहीं आती थी। भूख भी कम लगती। शाही मेज पर सैंकड़ों पकवान परोसे जाते, लेकिन वह दो-तीन कौर से ज्यादा खा नहीं पाता। राजा अपने शाही बाग के माली को देखता था। जो बड़े स्वाद से प्याज व चटनी के साथ सात-आठ मोटी-मोटी रोटियां खा जाता था। जब राजा के गुरु ने यह सब देखा तो उन्होंने राजा से कहा,”अगर तुमको नौकरी ज्यादा अच्छी लगती है तो मेरे यहां नौकरी कर लो। मैं तो ठहरा साधु, मैं आश्रम में ही रहूंगा, लेकिन इस राज्य को चलाने के लिए मुझे एक नौकर चाहिए। तुम पहले की तरह ही महल में रहोगे। गद्दी पर बैठोगे और शासन चलाओगे, यही तुम्हारी नौकरी होगी।“
राजा ने गुरु की बात मान ली और वह अपने काम को नौकरी की तरह करने लगा। फर्क कुछ नहीं था काम वही था, लेकिन अब वह जिम्मेदारियों और चिंता से लदा नहीं था। कुछ महीनों बाद उसके गुरु आए। उन्होंने राजा से पूछा,”कहो तुम्हारी भूख और नींद का क्या हाल है?”
राजा ने कहा,”मालिक,अब खूब भूख लगती है और आराम से सोता हूं।“
गुरु ने राजा को समझाया,''देखो सब कुछ पहले जैसा ही है, लेकिन पहले तुमने जिस काम को बोझ की गठरी समझ रखा था अब उसे सिर्फ अपना कत्र्तव्य समझ कर रहे हो। हमें यह जीवन कर्तव्यों को पूरा करने के लिए मिला है। किसी चीज को अपने ऊपर बोझ की तरह लादने के लिए नहीं मिला है। काम कोई भी हो, चिंता उसे और ज्यादा कठिन बना देती है। जो भी काम करें उसे अपना कर्तव्य समझकर ही करें।”