Partner से नाखुश हैं तो आज ही करें ये उपाय

Friday, Jan 25, 2019 - 11:39 AM (IST)

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ग्रहों में चंद्रमा को रानी कहा जाता है। ये एक राशि में केवल ढाई द‌िन तक रहते हैं। इस छोटे से समय में ही ये बहुत कुछ कर गुजरते हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार चंद्रमा मन का स्वामी है। मन दूषित होने पर मनुष्य के संस्कार अपवित्र हो जाते हैं। वह न चाहते हुए भी पाप कर्म में फंस जाता है। मेंटल टेंशन और मन की एकाग्रता के लिए चंद्रमा का शुभ होना आवश्यक है। जिन लोगों की जन्म-पत्रिका में चंद्र चतुर्थ, अष्टम एवं द्वादश भाव में बैठा हो अथवा नीच ग्रहों से प्रभावित हो या चंद्र पाप ग्रहों से घिरा हो उन्हें ‘चंद्र मंत्र’ का जप करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस स्थिति में जन्म-पत्रिका में बैठे चंद्रमा की महादशा, अंतर्दशा आदि की मुक्ति के समय भी चंद्र मंत्र का जप करने से लाभ होता है।

वैवाह‌िक जीवन पर तो चन्द्रमा चील जैसी नज़र रखते हैं। सेक्स लाइफ पर ये काफी हद तक अपना प्रभाव डालते हैं। जब कुंडली में चन्द्रमा अशुभता दे रहा हो तो व्यक्ति अपने पार्टनर से नाखुश होता है तो ऐसे में व‌िवाहेत्तर संबंधों में उलझ कर रह जाता है। जब ये कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य और चंद्रमा एक साथ आ जाते हैं तो संतान और पत्नी दोनों से दुख मिलते हैं। मैरिड लाइफ में बहुत सारी टेंशन का सामना करना पड़ता है। कुंडली में शनि और चंद्र का एक साथ आना भी दांपत्य में दरार लाता है। चंद्र मंत्र का जप ऐसी परिस्थिति में लाभ देता है।

किन्हीं खास परिस्थितियों में वर या कन्या के चतुर्थ, अष्टम अथवा द्वादश भाव में चंद्र रहने पर भी विवाह संस्कार करना पड़े तो चंद्रमा के मंत्र का जप अवश्य कराएं। जप समाप्त होने पर किसी पात्र में सफेद पुष्प, सफेद चंदन, चावल और जल मिलाकर चंद्रमा के लिए अर्घ्य दान करें।


मंत्र-
पत्रं पुष्पं फलं तोयं रत्नानि विविधानि च।
ग्रहाणार्घ्य मया दत्तं देहि में वाच्छितं फलम्।।

प्रार्थना करें-
दधिशङखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भ्वम्।
नमामि शशि नं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्।

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Niyati Bhandari

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