शादी में हो रही है देरी तो लॉकडाऊन में ऐसे बनाएं अपनी शादी के संयोग

Wednesday, May 27, 2020 - 04:34 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज कल युवा-युवतियों के विवाह में विलंब होना आम बात हो चुकी है। कुछ खुद नहीं करते तो कुछ के लिए जल्दी कोई रिश्ता नहीं आता। तो कुछ ऐसे होते हैं जो अपने जीवन के लक्ष्य हासिल करने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि शादी ब्याह की कोई चिंता ही नहीं रहती। मगर एक ऐसी उम्र आती है जब हर किसी को अपने जीवन में एक पार्टनर की ज़रूरत होती ही है। मगर कईं बार ज्यादा देरी के कारण बाद में विवाह होने में बहुत ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तो सवाल है ऐसे में व्यक्ति के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि आख़िर ऐसा होता क्यों है जो शादी होने में हद से ज्यादा देर होती है। दरअसल कई बार कुंडली में कुछ दोषों की वजह से सही समय पर विवाह नहीं हो पाता। तो चलिए जानते हैं कुंडली के उन दोषों व कारणों के बारे में साथ ही जानेंगे इसे दूर करने के लिए किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।  

अगर ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है अतः ये हमारे जीवन में विवाह, वैवाहिक जीवन, पति-पत्नी सप्तम भाव और सप्तमेश (सातवें भाव का स्वामी) की स्थिति पर निर्भर करता है। तो अगर बात करें पुरुषों की कुंडली में शुक्र विवाह, वैवाहिक जीवन और पत्नी का नैसर्गिक कारक होता है तो स्त्रियों की कुंडली में विवाह, वैवाहिक जीवन और पति सुख को मंगल और बृहस्पति नियंत्रित करते हैं अतः जब किसी व्यक्ति की कुंडली में वैवाहिक जीवन को नियंत्रित करने वाले ये घटक कमज़ोर या पीड़ित स्थिति में हो तो बाधाओं के बाद या विलम्ब से विवाह होता है।

 कुंडली में किन कारणों की वजह विवाह में देरी होती है-
-कुंडली के सप्तम भाव में कोई पाप योग (गुरु-चांडाल योग, ग्रहण योग, अंगारक योग) 
-सप्तम भाव में किसी पाप ग्रह का नीच राशि में बैठना 
-शनि सप्तम भाव में स्थित होना या सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि होना
-सप्तम भाव के आगे और पीछे दोनों और और पाप ग्रह होना 
-सप्तमेश का पाप भाव (6,8,12) में बैठना या नीच राशि में होना
-पुरुष की कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, केतु के साथ हो, सूर्य से अस्त हो, अष्टम भाव में हो या अन्य किसी प्रकार पीड़ित होना 
-स्त्री की कुंडली में मंगल नीच राशि (कर्क) में हो, राहु शनि से पीड़ित हो, बृहस्पति नीचस्थ हो, राहु से पीड़ित होना
-पाप भाव (6,8,12) के स्वामी यदि सप्तम भाव में होना 
-सप्तम में केतु या शत्रु राशि में बैठे सूर्य देव भी विवाह में विलंब का कारण बनता है। 

इन मंत्रों के जाप से दूर होगी विवाह की बाधा
अपनी कुंडली के सप्तमेश ग्रह स्वामी के मंत्र का जाप करें।
पुरुषों को अपनी कुंडली के शुक्र को मज़बूत करने के लिए 'ॐ शुम शुक्राय नमः' मंत्र का नियमित जाप करना चाहिेए तो वहीं स्त्री जातक को 'ॐ अंग अंगरकाय नमः' मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। 
इसके अलावा पुरुष लोग प्रत्येक शुक्रवार को गाय को चावल की खीर खिलाएं, और स्त्रियां स्त्री मंगल और गुरूवार को गाय को गुड खिलाएं। तो अगर कुंडली के सप्तम भाव में कोई पाप योग हो या पाप ग्रह हो तो उसका दान करें।

Jyoti

Advertising