आज ही अपने भीतर से निकाल फेंके ये चीज़, हर हाल में होगी आपकी जीत

Friday, Oct 11, 2019 - 01:38 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
मनुष्य के सभी कष्टों का मूल कारण है- मैं, अहं, स्व, स्वार्थ और स्वत्व की प्रबल इच्छा। यदि मनुष्य इन व्यक्तिगत दुर्गुणों पर विजय पा ले तो उसका जीवन सुंदर बन जाता है। अक्सर दुर्गुणों से घिरा मानव कहीं किसी अल्पात्मिक अवस्था में एक अच्छा मानव बनने की आशा से भी जुड़ा होता है। असल में वह आशा की इस किरण से बार-बार छिटक कर दूर इसलिए हो जाता है क्योंकि उसका भौतिक संसार जीविकोपार्जन, परिवार, रिश्ते-नातों और मानवीय संबंधों की विफलताओं से पीड़ित होता है।

ऐसे मनुष्य को केवल इतना समझाने की आवश्यकता है कि उसका जीवन अच्छा बने या बुरा इसका निर्णय पूरी तरह उसे स्वयं करना है। उसे किसी विवेकवान व्यक्ति के शिक्षण द्वारा निरंतर मनन करना होगा कि जीवनकाल में किसी भी मनुष्य की विफलताएं, भूल जाने योग्य दुख-दर्द और व्यर्थ पश्चाताप सुख-शांति पाने में किसी भी प्रकार की मदद नहीं कर सकते।

दुर्गुणों का परित्याग करने के लिए वह इस बात का भी ध्यान करे कि उसका जीवन जिन मानवीय दुर्भावनाओं, संबंधों के मतभेदों और दुर्बलताओं से घिरा हुआ है वे सब जीवन की व्यर्थता है।

वैचारिक परिपक्वता ग्रहण करने पर मनुष्य ऐसी दुर्बलताओं से भी मुक्त हो जाता है और जैसे-जैसे वह इन दुर्बलताओं से मुक्त होता जाता है उसका जीवन सुख, शांति, सुकून से भरता चला जाता है। इस स्थिति को पाना किसी भी मनुष्य के लिए असंभव नहीं है। उसके पास ईश कृपा से प्राप्त अति सुंदर, विशाल, उत्कृष्ट और प्राकृतिक जीवन है। इस जीवन को जितना आनंदपूर्वक व्यतीत किया जाएगा, उतना ही मनुष्य का आत्मिक विकास भी होगा।

Jyoti

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